COVID-19- उड़ीसा हाईकोर्ट ने बुजुर्गों, विकलांगों और अन्य लोगों जो वैक्सीनेशन सेंटर पर नहीं जा सकते उन्हें घर पर वैक्सीन दिए जाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र जवाब मांगा
उड़ीसा हाईकोर्ट ने गुरुवार को बुजुर्गों, विकलांगों और अन्य लोगों, जो वैक्सीनेशन सेंटर पर नहीं जा सकते उन्हें घर पर वैक्सीन दिए जाने को लेकर न्यायिक हस्तक्षेप की मांग करने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल को दिए अपने एक फैसले के संदर्भ में याचिका को 12 मई को अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।
सोहन मिश्रा और दो अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका में ऐसे लोगों को घर पर वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश डॉ. एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति बीपी राउतराय की खंडपीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल के अपने आदेश में केंद्र सरकार से ग्रामीण क्षेत्रों और समाज के सामाजिक रूप से वंचित वर्गों को वैक्सीन दिए जाने के कदमों पर विशेष प्रतिक्रिया मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार मोबाइल वैन, वाहनों और रेलवे का इस्तेमाल करने की संभावना के साथ-साथ दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के वैक्सीनेशन के लिए उनके दरवाजे पर कोरोना वैक्सीने पहुंचने के लिए कहा, ताकि संभावित संक्रमण को कम किया जा सके।"
यह ध्यान दिया जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि प्रयास यह भी किया जाना चाहिए कि पहचान प्रमाण की कमी सभी व्यक्तियों, विशेष रूप से वंचितों के वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में बाधा पैदा न करे।
इस पृष्ठभूमि में उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा,
"जो लोगों के उम्र, विकलांगता या किसी अन्य कारण से वैक्सीनेशन केंद्रों तक पहुंचाने में असमर्थ हैं, उन्हें शामिल करने के लिए उठाए गए मुद्दों के संदर्भ में अभिव्यक्ति की व्यापक रूप से व्याख्या करना संभव है।"
इसके लिए, भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल पी.के. ने कहा कि वह उन विशिष्ट निर्देशों को पेश करेंगे, जो भारत सरकार द्वारा वैक्सीन की उपलब्धता और ऐसे लोगों के विशिष्ट समूहों को वैक्सीनेशन की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए अपनाए जाते हैं, जो वैक्सीनेशन सेंटर पहुंचने की स्थिति में नहीं हैं।
इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें