कार्पोरेट मामलों के मंत्रालय की सफाई, COVID-19 के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में दिया गया धन सीएसआर नहीं माना जाएगा
कार्पोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्रालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि COVID-19 के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष या राज्य राहत कोष में दिया गया धन कंपनी अधिनियम के तहत सीएसआर व्यय नहीं माना जाएगा। अधिनियम की अनुसूची II में मुख्यमंत्री राहत कोष या राज्य राहत कोष का उल्लेख नहीं है ।
मंत्रालय ने कहा है, "COVID-19 संबंधित गतिविधियों के लिए CSR की धनराशि खर्च करना CSR व्यय माना जाएगा। आगे स्पष्ट किया गया है कि अनुसूची II के आइटम नंबर (i) और (xii) में शामिल COVID-19 से संबंधित विभिन्न गतिविधियों के लिए धन खर्च किया जा सकता है।"
उल्लेखनीय है कि COVID-19 की गतिविधियों से संबंधित CSR व्यय की पात्रता पर कई पक्षों ने स्पष्टीकरण मांगा था, जिसके बाद मंत्रालय ने FAQ के प्रारूप में स्पष्टीकरण जारी किया है। स्पष्टीकरण में कहा गया है कि PM CARES कोष में किया गया योगदान, कंपनी अधिनियम, 2013 की अनुसूची VII के आइटम नंबर (viii) के तहत CSR व्यय के रूप में अर्हता प्राप्त करता है।
इसी प्रकार, यह सूचित किया गया है कि COVID -19 का मुकाबला करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को दिया गया योगदान भी 2013 की अनुसूची VII के आइटम नंबर (xii) के तहत सीएसआर व्यय के रूप में योग्य है।
साथ ही मंत्रालय ने कहा है कि लॉकडाउन की अवधि में कर्मचारियों और श्रमिकों को वेतन / मजदूरी का भुगतान करना नियोक्ताओं का "नैतिक दायित्व" है, क्योंकि इस अवधि में उनके पास रोजगार या आजीविका का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं है।
लॉकडाउन अवधि में कर्मचारियों और श्रमिकों को किया गया वेतन/मजदूरी का भुगतान (सोशल डिस्टेंसिंग जैसी अन्य आवश्यकताओं को लागू करने सहित) स्वीकार्य सीएसआर व्यय के रूप में योग्य नहीं होगा।
सरकार ने कहा, "लॉकडाउन की अवधि अस्थायी या आकस्मिक या दैनिक वेतन श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान, कंपनी के नैतिक / मानवीय / संविदात्मक दायित्वों का हिस्सा है और सभी कंपनियों पर लागू है। इसलिए, लॉकडाउन की अवधि में अस्थायी या आकस्मिक या दैनिक वेतन श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान सीएसआर व्यय नहीं माना जाएगा।
हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि कंपनी के बोर्ड द्वारा की गई स्पष्ट घोषणा और वैधानिक लेखा परीक्षक द्वारा उचित प्रमाणीकरण के अधीन, यदि अस्थायी/ आकस्मिक श्रमिकों / दैनिक वेतन श्रमिकों को वेतन के बाद किसी अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाता है, और वह भी विशेष रूप से COVID-19 से लड़ने के उद्देश्य से तो वह एक बार अपवाद स्वरूप सीएसआर खर्च के रूप में स्वीकार्य होगा।