सरकार की दोषपूर्ण प्रणाली/दोषपूर्ण सॉफ्टवेयर के कारण मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में नागरिकों को कष्ट नहीं होना चाहिए: त्रिपुरा हाईकोर्ट

Update: 2021-09-18 07:05 GMT

त्रिपुरा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि सरकार की दोषपूर्ण प्रणाली / दोषपूर्ण सॉफ्टवेयर के कारण मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने में नागरिकों को कष्ट नहीं होना चाहिए।

न्यायमूर्ति अरिंदम लोध की पीठ अभिजीत गोन चौधरी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी पत्नी की बैंगलोर में मृत्यु हो गई और उसने सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करके अपनी पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अगरतला नगर निगम में आवेदन किया था।

अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि उनकी पत्नी की मृत्यु के 3 महीने से अधिक बीत चुके हैं, उन्हें नगर निगम द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है।

नगर निगम ने भारत सरकार द्वारा विकसित सॉफ्टवेयर को देरी के लिए जिम्मेदार ठहराया और अगरतला नगर निगम में यह दावा करते हुए पेश किया कि सिस्टम एंट्री की अनुमति नहीं दे रहा है और व्यक्ति का नाम दर्ज नहीं कर रहा है, जिसकी मृत्यु अगरतला नगर निगम के बाहर एक स्थान पर हुई थी।

उच्च न्यायालय ने शुरू में अगरतला नगर निगम को किसी भी तरह से 48 घंटे के भीतर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने निर्देश दिया,

"यह मैनुअल एक्सरसाइज या किसी भी तरीके से हो सकता है, जिसके तहत एएमसी पहले मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करती थी यानी वर्तमान सॉफ्टवेयर की स्थापना से पहले।"

कोर्ट ने इसके अलावा यह भी टिप्पणी की कि अगर उसे इस राज्य के किसी भी नागरिक द्वारा दायर इसी तरह की याचिका मिलती है, तो 5 लाख रूपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

अंत में, राज्य सरकार को इस मुद्दे को हल करने के लिए भारत संघ के संबंधित अधिकारियों के साथ मामले को उठाने का निर्देश दिया गया ताकि इस देश के नागरिकों को किसी भी उत्पीड़न का सामना न करना पड़े।

इन टिप्पणियों और निर्देशों के साथ वर्तमान रिट याचिका की अनुमति दी गई और उसका निपटारा किया गया।

केस का शीर्षक - अभिजीत गोन चौधरी बनाम त्रिपुरा राज्य एंड तीन अन्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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