अगर अभियोजन पक्ष डकैती के अपराध को साबित करने में विफल रहता है तो धारा 412 आईपीसी के तहत डकैती के सामान रखने का आरोप खुद विफल हो जाएगा: कलकत्ता हाईकोर्ट
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि यदि अभियोजन पक्ष डकैती के आरोप को साबित करने में विफल रहता है तो आईपीसी की धारा 412 के तहत डकैती की वस्तुओं को रखने का आरोप अपने आप विफल हो जाता है।
आईपीसी की धारा 412 में प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करता है या रखता है, जिसके मालिकाने को वह जानता है या उसे यह विश्वास है कि उसे डकैती का सामान दिया गया है, या बेईमानी से किसी ऐसे व्यक्ति से उसने इसे प्राप्त किया है, जिसे वह जानता है या उसके पास यह मानने का कारण है कि वह डकैतों के गिरोह से संबंधित है या संबंधित रह चुका है, उसे आजीवन कारावास, या कठोर कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि दस वर्ष तक हो सकती है, और जुर्माना के लिए भी उत्तरदायी होगा।
आईपीसी की धारा 412 के प्रावधान का जिक्र करते हुए जस्टिस रवींद्रनाथ सामंत ने कहा, "धारा में इस्तेमाल की भाषा से यह स्पष्ट है कि एक आरोपी के पास रखी वस्तुएं डकैती के दरमियान पकड़ी या प्राप्त की गई वस्तुओं से संबंधित होंगी। जब डकैती का आरोप विफल हो जाता है, धारा 412, आईपीसी के तहत आरोप स्वतः विफल हो जाता है। इसलिए, मेरा मानना है कि अभियोजन पक्ष धारा 412, आईपीसी के तहत आरोप को स्थापित करने में विफल रहा है।"
के वेंकटेश्वर राव उर्फ वेंकटाल उर्फ आई राव बनाम एपी राज्य, पुलिस इंस्पेक्टर के जरिए प्रतिनिधित्व में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा रखा गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि जबकि अभियोजन पक्ष ने डकैती का आरोप साबित नहीं किया है, आईपीसी की धारा 412 के तहत डकैती के सामानों को रखने का आरोप अपने आप विफल हो जाता है।
मौजूदा अपील दोषसिद्धि के एक आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें अपीलकर्ता को आईपीसी की धारा 412 के तहत दंडनीय अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था। अपीलकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि संबंधित ट्रायल कोर्ट ने माना था कि अभियोजन पक्ष आईपीसी की धारा 395 और 397 के तहत डकैती के आरोपों को साबित करने में विफल रहा है, इसलिए आईपीसी की धारा 412 के तहत आरोप भी अपीलकर्ता के खिलाफ मान्य नहीं है।
राज्य की ओर से पेश वकील ने कहा कि अगर अदालत को लगता है कि पेश किए गए सबूत विश्वसनीय हैं तो आईपीसी की धारा 412 के तहत दंडनीय अपराध के लिए अलग से सजा दर्ज करने के लिए अदालत की ओर से कोई बंधन नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य से पता चलता है कि अपीलकर्ता के पास डकैती से प्राप्त वस्तुएं हैं।
इसके विपरीत, न्यायालय द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी ने तर्क दिया कि जबकि आईपीसी की धारा 395 और 397 के तहत आरोप साबित नहीं हुए हैं, अपीलकर्ता को आईपीसी की धारा 412 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।
केस टाइटल: रामावतार राजबार @ रामावतार निमतार राजवार बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Cal) 185