'उसके पास उच्च स्तर का विस्फोटक पदार्थ और आपत्तिजनक साहित्य था': कलकत्ता हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी नागरिक की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को आतंकवादी संगठन अल-बदर से जुड़े एक पाकिस्तानी नागरिक को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा, जो बांग्लादेश के माध्यम से अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने और आतंकवादी गतिविधियां अंजाम देने के उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर जा रहा था।
दोषी को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), कोलकाता ने 19 मार्च, 2009 को इंटरसेप्ट करने के बाद गिरफ्तार किया था और उसके पास विस्फोटक पदार्थ और जाली ड्राइविंग लाइसेंस और वोटर आईडी कार्ड पाया था।
15 मार्च, 2021 को प्रथम फास्ट ट्रैक कोर्ट, कलकत्ता के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 121 के तहत भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध साथ साथ-साथ आईपीसी के अन्य प्रावधानों, विदेशी अधिनियम और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था। इस आदेश के खिलाफ मौजूदा अपील दायर की गई थी।
प्रतिद्वंदी दलीलों के अवलोकन के बाद जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मोहम्मद शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने कहा, विदेशी मूल के एक व्यक्ति ने बिना यात्रा दस्तावेजों के भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया और वह विस्फोटक पदार्थ और आपत्तिजनक साहित्य के साथ आतंक प्रभावित क्षेत्र की ओर बढ़ रहा था, निश्चित रूप से वह चैरिटी करने के लिए नहीं जा रहा था। मामले की परिस्थितियां से यह अनुमान संभव है कि उसकी कार्रवाई एक प्रयास के दायरे में थी और भारत सरकार पर युद्ध छेड़ने की साजिश में उसकी संलिप्तता थी।
न्यायालय ने कहा कि दोषी ने आवश्यक वैध दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था और यहां रुका था। यह भी ध्यान में रखा जा सकता है कि उसके पास एक एक प्लास्टिक कंटेनर पाया गया था, जिसकी बाद में जांच की गई और पाया गया कि यह अमोनियम नाइट्रेट और पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है, जो उच्च विस्फोटक पदार्थ है।
कोर्ट ने कहा,
"अपीलकर्ता ने विस्फोटक पदार्थ के मुद्दे पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है। इस तरह का कब्जा स्पष्ट रूप से भारतीय क्षेत्र में मानव जीवन और संपत्ति को खतरे में डालने के लिए था और वह भी संदिग्ध तरीके से ले जाया जा रहा था।"
खंडपीठ ने यह भी कहा कि दोषी ने शुरुआत में मुर्शिदाबाद जिले के मोहम्मद जमाल के नाम से खुद को एक भारतीय नागरिक बताया था, लेकिन पूछताछ में उसने खुद को शाहबाज़ इस्माइल के रूप में अपनी पहचान बताई, जो पाकिस्तान के जिला डेरा गाजी खान का निवासी था।
जिसके बाद न्यायालय ने सत्र न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि के आदेश और आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा।
केस टाइटल: शाहबाज इस्माइल @ शाहबाज @ मोहम्मद जमाल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य