विध्वंस के लिए याचिका पर तब तक विचार नहीं किया जा सकता जब तक कि यह अतिक्रमण के विशेष क्षेत्र को निर्दिष्ट न करे: गुजरात हाईकोर्ट

Update: 2023-03-02 07:13 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह कथित रूप से अतिक्रमण के अधीन क्षेत्र विशेष का वर्णन किए बिना केवल विध्वंस की याचिका पर निर्देश जारी नहीं कर सकता।

जस्टिस निर्जर एस. देसाई की एकल पीठ ने अहमदाबाद के चंदखेला इलाके में गुजरात हाउसिंग बोर्ड में कथित अवैध अतिक्रमण को गिराने की मांग वाली रिट याचिका खारिज कर दी।

कोर्ट ने कहा,

"जब तक याचिका विशेष अवैध अतिक्रमण को निर्दिष्ट नहीं करती है, तब तक न्यायालय गुजरात हाउसिंग बोर्ड या अहमदाबाद नगर निगम को कोई निर्देश जारी करने की स्थिति में नहीं होगा।"

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने यह निर्दिष्ट नहीं किया है कि वे किस विशिष्ट अवैध अतिक्रमण को हटाना चाहते हैं। अदालत से बार-बार पूछने के बावजूद, वे यह नहीं बता सके कि वे कैसे पीड़ित हैं और कौन सा अवैध निर्माण उन्हें प्रभावित करता है।

कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं ने पीड़ित व्यक्तियों के रूप में याचिका को तरजीह दी तो उनसे यह अपेक्षा की गई कि वे विशेष अतिक्रमण को निर्दिष्ट करें, जिसके लिए उन्होंने विध्वंस की मांग की।

अदालत ने कहा,

"याचिकाकर्ताओं द्वारा किए गए विध्वंस की व्यापक प्रार्थना पर विचार करते हुए यह याचिकाकर्ताओं के लिए एक ही प्रार्थना के साथ जनहित याचिका दायर करने के लिए खुला है।"

तदनुसार, अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।

केस टाइटल: राजवीर प्रवीणचंद्र उपाध्याय और 4 अन्य बनाम गुजरात राज्य और 3 अन्य।

कोरम: जस्टिस निरजार एस. देसाई

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