आधार कार्ड न होने पर किसी भी नागरिक के वैधानिक अधिकारों से इनकार नहीं किया जा सकता: तेलंगाना हाईकोर्ट
तेलंगाना हाईकोर्ट ने दोहराया कि आधार कार्ड न होने पर किसी भी भारतीय नागरिक को उसके वैधानिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।
जस्टिस सुरेपल्ली नंदा ने अमीना बेगम द्वारा दायर याचिका पर पारित आदेश में यह टिप्पणी की। इस याचिका में राजस्व अधिकारियों को उनके पक्ष में पट्टा पासबुक कम-टाइटल डीड (patta passbook-cum-title Deed) जारी करने का निर्देश देने की प्रार्थना की गई थी।
कोर्ट ने कहा,
"इस न्यायालय का मानना है कि याचिकाकर्ता को वर्तमान रिट याचिका में मांगी गई राहत से इस आधार पर इनकार नहीं किया जा सकता कि याचिकाकर्ता के पास आधार कार्ड नहीं है।"
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह विकाराबाद में 6 एकड़ जमीन के टुकड़े की मालकिन है, जिसे उसने 2003 में गिफ्ट एंड सेल्स डीड के माध्यम से प्राप्त किया था। इसे ट्रांसफर रजिस्ट्री में दर्ज किया गया और राजस्व प्रविष्टियों में उत्परिवर्तन किया गया। इसके बाद याचिकाकर्ता के पक्ष में पट्टा पासबुक जारी कर दिया गया।
राज्य सरकार ने 2018 में भूमि और भूमि अभिलेखों (Land and Land Records) को 'शुद्ध' करने के उद्देश्य से सर्वेक्षण करने के लिए भूमि रिकॉर्ड अपडेटिंग प्रोग्राम (LRUP) की शुरुआत की थी। उक्त योजना के तहत याचिकाकर्ता की भूमि और भूमि रिकॉर्ड का भी सर्वेक्षण किया गया था। उसका नाम रिकॉर्ड में फिर से दर्ज किया गया था।
याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि रि-म्यूटेशन के बावजूद उसे नई पट्टा पासबुक जारी नहीं की गई। याचिकाकर्ता ने लंबे इंतजार के बाद देरी का कारण जानने के लिए आरटीआई दायर की। इसके बाद उसे बताया गया कि आधार विवरण उपलब्ध नहीं करा पाने के कारण उसका आवेदन रोक दिया गया है।
याचिकाकर्ता को एनआरआई मॉड्यूल के माध्यम से धरणी पोर्टल पर अपने पट्टा पासबुक के लिए आवेदन करने के लिए कहा गया।
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई कि वह वेबसाइट में तकनीकी खराबी के कारण और दुर्लभ बीमारी डायबिटिक न्यूरोपैथी से पीड़ित होने के कारण ऐसा नहीं कर सकी। इसके परिणामस्वरूप उसके हाथ की उंगलियों के निशान और आईरिस के निशान नहीं लिए जा सके।
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस के.एस. कुप्पू स्वामी (रिटायर्ड) और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य मामले में पारित फैसले का हवाला देते हुए कहा गया:
"जस्टिस के.एस. कुप्पू स्वामी (सेवानिवृत्त) और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य, दिनांक 24.08.2017 में (2017) 10 एससीआर 569 में रिपोर्ट किए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का एक मात्र अवलोकन स्पष्ट रूप से दोहराया गया कि किसी भी भारतीय नागरिक को केवल आधार कार्ड नहीं होने के आधार पर उसे उसके वैधानिक लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।''
कोर्ट ने विकाराबाद मंडल और जिले को याचिकाकर्ता के पक्षकार में उसके आधार पर जोर दिए बिना 2 सप्ताह के भीतर पट्टा पासबुक कम टाइटल डीड जारी करने का निर्देश दिया। तदनुसार, याचिका की अनुमति दी गई।
केस टाइटल: अमीना बेगम बनाम तेलंगाना राज्य
याचिकाकर्ता के वकील: महेश ममिंडला, टी. बालास्वामी। प्रतिवादी के वकील: राजस्व टीएस के लिए जीपी।
ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें