वादी ने तारीखों का उचित ब्योरा दिए बिना विलंब की माफी के लिए "रहस्यमयी" आवेदन किया हो तो उसका बचाव नहीं कर सकतेः जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट

Update: 2023-03-02 07:36 GMT

Jammu and Kashmir and Ladakh High Court

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में तारीखों का उचित ब्योरा नहीं देने के कारण एक 'रहस्यमयी' विलंब क्षमा आवेदन को खारिज कर दिया।

जस्टिस एमए चौधरी की पीठ ने कहा,

"जहां क्षमा के लिए दिया गया आवेदन पर्याप्त कारण और याचिकाकर्ताओं के दृष्टिकोण को स्पष्ट नहीं करता है, अदालतें इस प्रकार के आवेदन को लापरवाही से और रहस्यमयी ढंग से करने के कारण वादियों की सहायता और बचाव के लिए आगे नहीं आ सकती"।

कोर्ट ने यह टिप्पणी एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए, जिसके संदर्भ में याचिकाकर्ता ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (जिला न्यायाधीश) सांबा की ओर से पारित एक फैसले के खिलाफ सिविल मिस्लेनिअस अपील दायर करने में 963 दिनों के विलंब को माफ करने के लिए अदालत से सहायत की मांग की थी।

विलंब को क्षमा करने की अपनी प्रार्थना पर जोर देते हुए आवेदकों ने प्रस्तुत किया कि उनके वकील ने उन्हें विवादित अधिनिर्णय के पारित होने के बारे में सूचित नहीं किया। उन्हें कुछ दिन पहले ही आक्षेपित फैसले के पारित होने के बारे में पता चला। उसके बाद, उन्होंने तुरंत फैसले की प्रमाणित प्रति प्राप्त की और जम्मू में एक वकील से संपर्क किया, जिसने अपील दायर करने की सलाह दी।

यह देखते हुए कि सीमा के कानून को कानून द्वारा निर्धारित पूरी शक्ति और कठोरता के साथ लागू किया जाना चाहिए, जस्टिस चौधरी ने कहा कि कोई भी 'सीमा के कानून' के प्रावधानों के परिणामों से बच नहीं सकता है, जो प्रावधान करता है कि किसी ‌दिए हुए मामले में सीमा अवधि के विस्तार के लिए पूर्व शर्त यह है कि आवेदकों को न्यायालय को संतुष्ट करना होगा कि उन्होंने निर्धारित समय के भीतर अपील या आवेदन दायर न करने के लिए न्यायालय की कृपा पाने के लिए पर्याप्त कारण दिए हैं।

इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि आवेदन इस आधार पर दिया गया है कि उनके वकील ने उन्हें अवॉर्ड पारित होने के बारे में सूचित नहीं किया था, अदालत ने कहा कि अपील दायर करने में 963 दिनों का लंबा विलंब हुआ है और इस पर कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है।

समय के भीतर मुकदमा चलाने में आवेदकों की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए, अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदन को तारीखों का उचित ब्योरा ‌दिए बिना लापरवाही से तैयार किया गया है।

कोर्ट ने कहा,

"963 दिनों के लंबे विलंब के लिए वकील को दोष देना, इस लापरवाही को माफ करने में कोई कारण नहीं है।"

उक्त निष्कर्ष के साथ पीठ ने याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटलः पूजा देवी व अन्य बनाम तरसीम लाल व अन्य।

साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (जेकेएल) 40

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