'कुक फिश फॉर बंगालिस' टिप्पणी| 'गुजराती में स्पीच थी, उसके बाद उन्होंने माफी भी मांगी': कलकत्ता हाईकोर्ट ने परेश रावल के खिलाफ एफआईआर खारिज की

Update: 2023-02-07 06:05 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को बंगाली समुदाय के खिलाफ कथित घृणास्पद भाषण के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और अभिनेता परेश रावल के खिलाफ दर्ज सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) रद्द कर दी।

जस्टिस राजशेखर मंथा ने एफआईआर रद्द करते हुए कहा कि विचाराधीन भाषण गुजराती में दिया गया, जो जरूरी नहीं कि उन लोगों द्वारा समझा जाए जिन्होंने इसका विरोध किया। उन्होंने इस बात को भी ध्यान में रखा कि रावल पहले ही स्पष्टीकरण दे चुके हैं और प्रश्नगत भाषण के लिए माफी मांग चुके हैं।

अदालत ने कहा,

“विचाराधीन भाषण गुजराती में दिया गया और आज तक भाषण का कोई अंग्रेजी अनुवाद नहीं है। ऐसे व्यक्तियों द्वारा भाषण के खिलाफ कुछ टिप्पणियां की गई हैं जो आवश्यक रूप से गुजराती नहीं समझ सकते। इन सबसे ऊपर याचिकाकर्ता ने स्पष्ट किया और माफी भी मांगी।"

तदनुसार, अदालत ने मामले के तथ्यों पर विचार करने के बाद फैसला सुनाया कि कार्यवाही और एफआईआर को आगे जारी रखना वांछनीय नहीं होगा। इसलिए एफआईआर रद्द कर दी।

कोर्ट ने कहा,

"मामले के पूरे तथ्यों और परिस्थितियों के संबंध में इस न्यायालय का विचार है कि एफआईआर और कार्यवाही को आगे जारी रखना वांछनीय नहीं है। इसलिए एफआईआर नंबर 02.12.2022/153 रद्द कर दी जाए।”

सीपीआई (एम) की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव मोहम्मद सलीम द्वारा दायर शिकायत पर कोलकाता पुलिस द्वारा अभिनेता पर मामला दर्ज किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि रावल ने समुदाय के सदस्यों के खिलाफ घृणास्पद भाषण देकर बंगालियों की भावनाओं को आहत किया है।

कथित तौर पर गुजरात के वलसाड जिले में अपने चुनाव प्रचार के दौरान, रावल ने बंगालियों के लिए खाना पकाने वाली मछली के साथ गैस सिलेंडर की कीमत को जोड़ने वाला बयान दिया था।

उन्होंने कथित तौर पर कहा,

"गैस सिलेंडर महंगे हैं, लेकिन उनकी कीमत कम हो जाएगी। लोगों को रोजगार भी मिलेगा। लेकिन अगर रोहिंग्या प्रवासी और बांग्लादेशी आपके आसपास दिल्ली की तरह रहने लगे तो क्या होगा? गैस सिलेंडर का आप क्या करेंगे? बंगालियों के लिए मछली पकाएं?"

हालांकि, व्यापक आलोचना के बीच रावल ने बाद में स्पष्ट किया कि "बंगाली" से उनका तात्पर्य अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्या अप्रवासियों से है, जो पश्चिम बंगाल के माध्यम से भारत में प्रवेश करते हैं।

केस टाइटल: परेश दयाभाई रावल @ परेश रावल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य परेश

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