कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में एनडीपीएस अधिनियम के तहत स्पेशल कोर्ट की स्थापना की मांग वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा

Update: 2022-01-17 10:15 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार से एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका पर जवाब मांगा। इस याचिका में विशेष रूप से नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 (एनडीपीएस एक्ट) के तहत अपराधों से निपटने वाले स्पेशल कोर्ट की स्थापना की मांग की गई है।

इन कोर्ट की स्थापना की मांग करते हुए थाना सिंह बनाम सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किए गए निर्देशों का उल्लेख किया गया है।

चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ को हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से पेश वकील ने अवगत कराया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 23 जनवरी, 2013 के आदेश द्वारा जारी निर्देशों के बावजूद राज्य सरकार द्वारा आज तक एनडीपीएस अधिनियम के तहत विशेष रूप से अपराधों की कोशिश करने के लिए ऐसे स्पेशल कोर्ट की स्थापना करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।

प्रासंगिक रूप से थाना सिंह बनाम केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए थे-

i) प्रत्येक राज्य सरकार हाईकोर्ट के परामर्श से विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और जम्मू और कश्मीर राज्यों (जहां पांच वर्षों से अधिक मामलों के लंबित मामलों को अधिक बताया गया है) को स्पेशल कोर्ट स्थापित करने का निर्देश दिया जाता है जो विशेष रूप से एनडीपीएस अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई करेंगे।

ii) इन कोर्ट की संख्या राज्य में लंबित मामलों की मात्रा को संभालने के लिए आनुपातिक और पर्याप्त होनी चाहिए।

iii) जब तक एनडीपीएस अधिनियम के तहत एनडीपीएस मामलों के निपटान के उद्देश्य से स्पेशल कोर्ट स्थापित नहीं हो जातीं, तब तक इन मामलों को अन्य सभी मामलों पर प्राथमिकता दी जाएगी; एनडीपीएस मामलों के लिए स्पेशल कोर्ट की स्थापना के बाद एनडीपीएस अधिनियम के तहत मामलों की मंजूरी के बाद ही एनडीपीएस अदालत को किसी अन्य मामले को लेने की अनुमति दी जाएगी।

हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से पेश अधिवक्ता सैकत बनर्जी ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त निर्देशों के अनुसार की गई एकमात्र कार्रवाई हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से थाना सिंह बनाम मामले में फैसले की एक प्रति राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत एनडीपीएस न्यायालयों के पीठासीन न्यायिक अधिकारियों को केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरों को प्रसारित करने का अनुरोध करना था।

न्यायालय को आगे बताया गया कि 31 दिसंबर, 2021 तक एनडीपीएस अधिनियम से संबंधित लगभग 11,484 मामले वर्तमान में राज्य के विभिन्न जिला अदालतों में लंबित हैं।

इसके अलावा, याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता सौम्यजीत दास महापात्र ने कहा कि मुर्शिदाबाद में सदर सब डिवीजन में एनडीपीएस अधिनियम के तहत विशेष रूप से मामलों की सुनवाई के लिए केवल एक विशेष अदालत है। उन्होंने आगे तर्क दिया कि ऐसे विशेष न्यायालय घोर अपर्याप्त हैं। तदनुसार ऐसे और विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए दिशा-निर्देशों के लिए प्रार्थना की गई।

उठाई गई शिकायत का संज्ञान लेते हुए बेंच ने कहा,

"कोर्ट मुर्शिदाबाद के सदर सब डिवीजन में मौजूद है। इसे हाईकोर्ट प्रशासन के वकील द्वारा ठीक किया जाए। राज्य के वकील को इस संबंध में निर्देश प्राप्त करने और सुनवाई की अगली तारीख से पहले रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।"

मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी, 2022 को होगी।

केस शीर्षक: अहमदुर रहमान बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

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