पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया और नोटिस जारी करने के बीच 6 साल की अवधि से अधिक का फर्क : कलकत्ता हाईकोर्ट ने कार्यवाही पर रोक लगाई

Update: 2022-08-27 07:04 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट 

कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना कि नोटिस जारी करने और पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही (Reassessment Proceeding) शुरू करना में 6 साल से अधिक अवधि का फर्क है। प्रथम दृष्टया यह पुराने अधिनियम के साथ-साथ आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 147 से संबंधित नए संशोधित प्रावधान के तहत सीमा द्वारा वर्जित है।

जस्टिस मोहम्मद निजामुद्दीन की एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने में निर्धारण अधिकारी के अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को उठाकर अंतरिम आदेश के लिए प्रथम दृष्टया मामला बनाने में सक्षम है।

याचिकाकर्ता ने निर्धारण वर्ष 2014-15 के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 148ए(डी) के तहत जारी आदेश के साथ ही आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 148 के तहत जारी नोटिस के आधार पर बाद की सभी कार्यवाही को चुनौती दी है।

पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही को मुख्य रूप से धारा 148 के तहत नोटिस जारी करने में निर्धारण अधिकारी के अधिकार क्षेत्र के आधार पर चुनौती दी गई। निर्धारण अधिकारी ने 11 मई, 2022 के सीबीडीटी निर्देश का हवाला देते हुए धारा 148ए(डी) के तहत आदेश में पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने को सही ठहराने का प्रयास किया। नोटिस जारी करना और पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करना छह साल से अधिक है और प्रथम दृष्टया उन्हें समय-सीमा से रोक दिया गया है।

अदालत ने कार्यवाही पर रोक लगा दी और कहा कि इस बीच रिट याचिका के निपटारे तक आगे कोई कार्यवाही नहीं की जाएगी।

अदालत ने मामले को नवंबर, 2022 में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

केस टाइटल: एसएस कमोट्रेड प्राइवेट लिमिटेड बनाम आयकर अधिकारी

साइटेशन: डब्ल्यू.पी.ए. 1911/2022

दिनांक: 25.08.2022

याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट कपिल गोयल, अवरा मजूमदार, बिनायक गुप्ता, के रॉय, एसके. मो. बिलवाल हुसैन

प्रतिवादी के लिए वकील: एडवोकेट ओम नारायण राय




Tags:    

Similar News