कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 अगस्त तक 4 रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं को म्यांमार भेजने के भारत सरकार के फैसले पर रोक लगाई

Update: 2022-08-06 08:59 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट 

कलकत्ता हाईकोर्ट ने अस्थायी उपाय के रूप में भारत संघ को 4 रोहिंग्या शरणार्थी महिलाओं को 10 अगस्त तक म्यांमार भेजने से रोक दिया।

जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की पीठ ने आगे निर्देश दिया कि 4 महिलाओं को गरिमा के साथ जीने के लिए उनके अधिकार के अनुरूप सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।

न्यायालय 4 महिलाओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिन्होंने 20 जुलाई, 2019 को नजरबंदी की अवधि पूरी कर ली है। हालांकि, वे तब से दमदम सुधार गृह में हैं।

अपनी रिट याचिका में उन्होंने प्रतिवादी अधिकारियों को उन्हें म्यांमार न भेजने का निर्देश देने की प्रार्थना की। उन्होंने अदालत के समक्ष यह भी प्रस्तुत किया कि उन्हें जेल अधिकारियों से मौखिक संचार मिला है कि उन्हें 5 अगस्त 2022 को म्यांमार भेज दिया जाएगा।

हालांकि, भारत संघ के वकील और सरकारी वकील ने कहा कि उनके पास निर्वासन के ऐसे किसी आदेश का कोई निर्देश नहीं है।

इसे देखते हुए न्यायालय ने निर्देश दिया कि जब तक मामले को अदालत द्वारा सुनवाई के लिए नहीं लिया जाता है तब तक प्रतिवादी चार याचिकाकर्ताओं के निर्वासन के किसी भी आदेश पर कोई प्रभाव नहीं डालेंगे, यदि ऐसा कोई आदेश रिट दाखिल करने के बाद किया गया है।

इसके साथ ही मामले को 10 अगस्त, 2022 को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। याचिकाकर्ताओं को पूरक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया गया, जिसे बाद की घटनाओं पर जवाब देने की तारीख से पहले रिकॉर्ड पर लाने को कहा गया और इसकी कॉपी प्रतिवादियों के वकील को देने का निर्देश दिया गया।

इस बीच इस अदालत ने प्रतिवादी अधिकारियों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को सम्मान के साथ जीने के उनके अधिकार के अनुरूप सुविधाएं प्रदान की जाएं।

केस टाइटल- फातिमा बेगम और अन्य बनाम यूओआई

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