कलकत्ता हाईकोर्ट ने दुर्गा पूजा के दौरान पूजा समितियों को अनुदान देने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करने से इनकार किया

Update: 2022-09-15 09:22 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने हाल ही में दुर्गा पूजा के दौरान पूजा समितियों को अनुदान देने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द करने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने सरकार को केवल उन्हीं क्लबों/पूजा समितियों के पक्ष में अनुदान जारी करने का निर्देश दिया, जिन्होंने पिछले वर्ष इसका उपयोग उस उद्देश्य के लिए किया था, जिसके लिए प्रदान किया गया था और समय के भीतर विधिवत उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था।

चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की पीठ ने राज्य सरकार के पश्चिम बंगाल राज्य में दुर्गा पूजा, 2022 के दौरान लगभग 40,092 पूजा समितियों/क्लबों को 60,000 रुपए प्रत्येक को अनुदान प्रदान करने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) याचिकाओं को खारिज कर दिया।

पूरा मामला

याचिकाओं में राज्य में ऐसी पूजा समितियों/क्लबों को दुर्गा पूजा की उक्त अवधि के दौरान बिजली खपत बिल पर 60% की छूट प्रदान करने के निर्णय को भी चुनौती दी गई थी।

याचिकाकर्ताओं का यह प्रमुख तर्क था कि जब राज्य वित्तीय संकट से गुजर रहा है तो सार्वजनिक फंड को इस तरह से वितरित करना सही नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने आगे तर्क दिया कि राशि के वितरण का सार्वजनिक उद्देश्य से कोई लेना-देना नहीं है और दुर्गा पूजा एक निजी मामला है। एक और दलील यह भी दी गई कि अम्फान पीड़ित को भुगतान करने या स्वास्थ्य साथी योजना को लागू करने के बजाय, जिसमें उच्च प्राथमिकता है, फंड को गलत तरीके से धार्मिक उद्देश्यों के लिए वितरित किया जा रहा है।

दूसरी ओर, राज्य सरकार ने तर्क दिया कि फंड का वितरण एक सार्वजनिक उद्देश्य के लिए है न कि किसी विशेष धर्म का प्रचार या प्रोत्साहन करने के लिए। इस संबंध में, राज्य सरकार ने यूनेस्को की अंतर सरकारी समिति के निर्णय का भी उल्लेख किया कि यह तत्व एक सार्वजनिक त्योहार है और यह किसी भी प्रतिबंधात्मक प्रथागत प्रथाओं द्वारा शासित नहीं है।

राज्य ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की राष्ट्रीय सूची का भी उल्लेख किया है कि दुर्गा पूजा बंगाली त्योहार कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक घटना है और इसमें पश्चिम बंगाल राज्य में रहने वाले सभी धार्मिक संप्रदाय शामिल हैं।

कोर्ट की टिप्पणियां

शुरुआत में, कोर्ट ने कहा कि हाल के वर्षों में, राज्य में दुर्गा पूजा के दौरान दुर्गा पूजा समितियों को सहायता प्रदान करने पर सवाल उठाने वाली कई याचिकाएं दायर की गईं। हालांकि, कोर्ट ने क्लबों/पूजा समितियों को अनुदान देने के राज्य सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

कोर्ट ने नोट किया कि उच्च न्यायालय ने अनुदान के उपयोग को विनियमित करने के लिए कुछ निर्देश पारित किए हैं।

इसलिए, पूजा समितियों को अनुदान बढ़ाने के राज्य के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कोर्ट ने जोर दिया कि अनुदान सख्ती से होना चाहिए जिसका उल्लेख 6 सितंबर, 2022 के आदेश में किया गया है ताकि उसमें निहित सार्वजनिक उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके।

नतीजतन, यह सुनिश्चित करने के लिए कि अनुदान का उपयोग सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किया जाता है और 6 सितंबर, 2022 के आदेश में उल्लिखित उद्देश्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से, न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:

i. इस न्यायालय के पिछले आदेशों में पहले से जारी दिशा-निर्देशों का विधिवत पालन किया जाएगा।

ii. अनुदान केवल उन्हीं क्लबों/पूजा समितियों को जारी किया जाएगा, जिन्होंने पिछले वर्ष इसका उपयोग उस प्रयोजन के लिए किया था जिसके लिए इसे प्रदान किया गया था और समय के भीतर विधिवत उपयोग प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था।

iii. एसएलपी (सी) संख्या 27927/2018 में सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 12 अक्टूबर, 2018 के आदेश के अनुसार, अनुदान पश्चिम बंगाल पुलिस और कोलकाता पुलिस के माध्यम से वितरित किया जाना है, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए पुलिस की जिम्मेदारी है कि अनुदान का उपयोग 6 सितंबर, 2022 के आदेश में उल्लिखित सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किया जाए।

iv. डीजीपी अपने अधिकारियों के माध्यम से यह सुनिश्चित करेंगे कि अनुदान का उपयोग 6 सितंबर, 2022 के आदेश में उल्लिखित उद्देश्य के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है।

v. पूजा समितियां सहायक वाउचर के साथ जिले के उप-मंडल अधिकारियों और कोलकाता पुलिस के अधिकार क्षेत्र में नामित अधिकारियों को 15 नवंबर, 2022 के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेंगी।

vi. राज्य सरकार के सक्षम अधिकारी इन उपयोगिता प्रमाण पत्रों की विधिवत जांच करेंगे और पता लगाएंगे कि क्या क्लबों/पूजा समिति को वितरित की गई राशि का उपयोग 6 सितंबर, 2022 के आदेश में उल्लिखित उद्देश्य के लिए किया गया है और इस न्यायालय के समक्ष 15 दिसंबर, 2022 तक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

केस टाइटल - डॉ. शांतनु दे बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एंड अन्य याचिकाएं

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:





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