कलकत्ता हाईकोर्ट ने गैर-मौजूद कंपनी के नाम पर जारी आयकर नोटिसों को खारिज किया

Update: 2023-03-23 04:54 GMT

Calcutta High Court

कलकत्ता हाईकोर्ट ने गैर-मौजूदा कंपनी के नाम पर जारी किए गए आयकर नोटिस को विभाग के नोटिस और कंपनी के अस्तित्व की जानकारी के बावजूद रद्द किया।

जस्टिस मो. निजामुद्दीन की एकल पीठ ने पाया कि कंपनी के नाम पर नोटिस जारी किया गया, जिसका 12 दिसंबर, 2016 को पहले ही विलय किया जा चुका है, जो 1 अप्रैल, 2015 से प्रभावी है और विभाग को इस विलय के बारे में सूचित कर दिया गया है। यह रिकॉर्ड का विषय है और गैर-मौजूदा कंपनी के नाम पर इस तरह का नोटिस कानून की नजर में मान्य नहीं है।

याचिकाकर्ता ने आयकर अधिनियम 1961 की धारा 148 के तहत निर्धारण वर्ष 2013-14 से संबंधित 27 जुलाई, 2022 के नोटिस को चुनौती दी है, जो ट्रांसफर कंपनी है।

याचिकाकर्ताओं को तक्षशिला गृह निर्माण (बाद में तक्षशिला रियल्टीज़ प्राइवेट लिमिटेड नाम दिया गया) के साथ विलय करने का आदेश दिया गया। विलय की योजना न्यायालय द्वारा स्वीकृत की गई, जिसके द्वारा संबंधित याचिकाकर्ताओं को 1 अप्रैल, 2010 से तक्षशिला गृह निर्माण (बाद में तक्षशिला रियलिटी प्राइवेट लिमिटेड नाम दिया गया) में विलय करने का आदेश दिया गया।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि कंपनी के नाम पर नोटिस जारी किया गया, जिनका 12 दिसंबर, 2016 को पहले से ही 1 अप्रैल, 2015 से विलय किया जा चुका है। विभाग को इस विलय के बारे में सूचित किया गया है, जो रिकॉर्ड का मामला है। साथ गैर-मौजूदा कंपनी को रजिस्टर्ड करना कानून की नजर में मान्य नहीं है।

अदालत ने कहा कि जो नोटिस गैर-मौजूद कंपनी के खिलाफ जारी किए गए, बरकरार नहीं रह सकते और उन्हें रद्द कर दिया जाना चाहिए।

केस टाइटल: एस. के. फिनसर्व प्राइवेट लिमिटेड बनाम सहायक आयकर आयुक्त

साइटेशन: WPA 4551/2023

दिनांक: 20.03.2023

याचिकाकर्ता के वकील: अवरा मजूमदार, सुमन भौमिक, सम्राट दास और प्रतिवादी के वकील: विपुल कुनादलिया, पृथु दुधोरिया

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