बीएसएफ में शामिल होने के बाद ठीक होने वाली बीमारी के कारण बेसिक ट्रेनिंग पूरा नहीं कर पाने वाले कर्मचारी को बर्खास्त करना अनुचित: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बेसिक ट्रेनिंग (Basic Training) पूरा नहीं कर पाने के कारण 'अयोग्य' घोषित कर सेवा से हटा दिए गए बीएसएफ कांस्टेबल के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। कांस्टेबल को सर्विस से हटाने का आधार यह बताया गया था कि वह इलाज योग्य बीमारी के कारण बेसिक ट्रेनिंग पूरा नहीं कर सकता। कांस्टेबल को यह बीमारी सर्विस में शामिल होने के बाद हुई थी।
जस्टिस जगमोहन बंसल की पीठ ने कहा,
''किसी कर्मचारी को इस आधार पर बाहर करना बेहद अनुचित लगता है कि वह बीमारी, जो उसे सर्विस में शामिल होने के बाद हुई है, के कारण बेसिक ट्रेनिंग पूरा नहीं कर सकता है, । यह इलाज योग्य बीमारी है।"
जस्टिस बंसल ने आगे बताया कि सर्विस में शामिल होने के बाद व्यक्ति ड्यूटी के दौरान और उसके नियंत्रण से परे कारणों जैसे कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर बल की आवाजाही के दौरान दुर्घटना, आतंकवादियों द्वारा हमला आदि के कारण बेसिक ट्रेनिंग पूरा करने में अक्षम हो सकता है।
ऐसी परिस्थितियों में कोर्ट ने कहा,
यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि जिस व्यक्ति ने भर्ती के समय सभी आवश्यक मापदंडों को पूरा किया है, उसे बाहर कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि शामिल होने के बाद अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण वह बेसिक ट्रेनिंग से गुजरने में असमर्थ हो गया है।
अदालत अमरनाथ राम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने 2014 में पारित आदेश रद्द करने की मांग की थी। इस आदेश के तहत उसका नाम बीएसएफ फोर्स से हटा दिया गया था।
राम को अस्थायी रूप से बीएसएफ में कांस्टेबल (जीडी) के रूप में चुना गया था। उसने सब्सिडिरी ट्रेनिंग सेंटर, होशियारपुर को रिपोर्ट किया और उसके बाद बुखार से पीड़ित हो गया। उसे सिविल अस्पताल में रेफर किया गया, जहां उसके हड्डी के तपेदिक का पता चला।
अक्टूबर 2011 से मई 2012 तक उनका पीजीआई, चंडीगढ़ में इलाज चला और मेडिकल रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि वह फिर से सर्विस में शामिल होने के लिए फिट हैं। हालांकि, बीएसएफ ने पीजीआई, चंडीगढ़ की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया और उन्हें मेडिकल बोर्ड का सामना करने के लिए कहा।
राम की फिर से मेडिकल बोर्ड द्वारा जांच की गई, जिसने राय दी कि वह हड्डी की टीबी से पीड़ित है। वह ट्रेनिंग सेंटर से गुजरने के लिए अयोग्य है और आगे सर्विस में बनाए रखने के लिए अनुपयुक्त है। उनके अनुरोध पर उनकी दोबारा जांच की गई और रिव्यू बोर्ड ने भी उन्हें बेसिक ट्रेनिंग के लिए अयोग्य घोषित कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि भर्ती के समय राम किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं था। वह मेडिकल रूप से फिट पाया गया था। यह प्रस्तुत किया गया कि सर्विस में शामिल होने के बाद याचिकाकर्ता कथित बीमारी से पीड़ित है और इसका इलाज संभव है।
उपरोक्त के आलोक में न्यायालय ने अधिकारियों को कांस्टेबल पोस्ट के अलावा किसी अन्य पोस्ट के लिए याचिकाकर्ता के मामले पर सहानुभूतिपूर्वक पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। यदि उत्तरदाता इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि याचिकाकर्ता पर विचार नहीं किया जा सकता तो "सक्षम प्राधिकारी याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देने के बाद स्पष्ट आदेश पारित करेगा। आज से 06 महीने के भीतर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।"