मास्क न पहनने वाले लोगों को COVID केयर सेंटर में सामुदायिक सेवा करनी होगीः गुजरात हाईकोर्ट
गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार (02 दिसंबर) को गुजरात सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक नीति या आदेश जारी करें, जिसमें सभी को निर्देश दिया जाए कि जो भी लोग फेस कवर/ मास्क के बिना पकड़े जाए, उनको अनिवार्य रूप से सामुदायिक सेवा के लिए COVID19 देखभाल केंद्रों में भेज दिया जाए।
मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने उपरोक्त निर्देश जारी किया है क्योंकि इस मामले में राज्य सरकार ने अदालत के समक्ष कहा था कि वह सामाजिक सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघनकर्ताओं या फेस कवर/मास्क न पहनने वालों को COVID केंद्रों में सामुदायिक सेवा देने के लिए बाध्य करने की इच्छुक नहीं है।
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि ''राज्य का रुख दुर्भाग्यपूर्ण है,खासतौर पर यह देखते हुए कि यह राज्य ही है जिसे ऐसे समय में सबसे सक्रिय तरीके से कार्य करने की आवश्यकता है।''
पीठ ने कहा कि,
''राज्य के रुख ने हमारे पास कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। इसलिए परिस्थितियों की गंभीरता को देखते हुए हमें कुछ निर्देश जारी करने ही होंगे।''
न्यायालय के समक्ष मामला
बेंच एडवोकेट विशाल अवतानी की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें फेस कवर (मास्क) न पहनने पर जुर्माना बढ़ाने के लिए राज्य को उचित निर्देश देने की मांग की गई थी।
पिछले शुक्रवार (27 नवंबर) को कोर्ट ने कहा था कि मास्क नहीं पहनने पर जुर्माना लगाना जनता के बीच पर्याप्त निवारक के रूप में काम नहीं कर रहा है। इसलिए राज्य सरकार को COVID19 केंद्रों पर उल्लंघनकर्ताओं से सेवा करवाने पर विचार करना चाहिए।
हालाँकि, यह सिर्फ एक सुझाव था और इसे अंतिम रूप नहीं मिला था और यह निर्णय लिया गया था कि मंगलवार (1 दिसंबर) को राज्य सरकार के साथ न्यायालय द्वारा इस पर चर्चा की जाएगी।
''राज्य सरकार है दुविधा में''
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार (01 दिसंबर) को, गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि वह यह पता लगाने में असमर्थ हो रहे हैं कि जो लोग बिना मास्क पहने पकड़े जा रहे हैं,उनसे कैसे COVID केंद्रों पर सामुदायिक सेवा करवाई जाए।
एजी कमल त्रिवेदी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि,
''सरकार की स्थिति शेक्सपियर के प्ले के प्रिंस हैम्लट की तरह है ... हम कोई निर्णय नहीं ले सकते है क्योंकि सरकार की चिंता कार्यान्वयन के बारे में नहीं है, लेकिन कार्यान्वयन के बाद के बारे में है.... यह देखना कि क्या उनमें से प्रत्येक (उल्लंघनकर्ता) उसके बाद (सामुदायिक) सेवा के लिए गया है या नहीं,उन पर निगरानी रखना।''
''COVID के मामलों में अचानक बढ़ौतरी''
COVID मामलों की संख्या में अचानक वृद्धि पर ध्यान देते हुए, कोर्ट ने कहा कि इस वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर जनता की ''लापरवाही और दुस्साहस को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है,जो सोशल डिस्टेंसिंग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं और न ही मास्क पहन रहे हैं।''
इसके अलावा, कोर्ट ने कहा,
''इस तरह का आचरण लोगों के सामान्य स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए हानिकारक है। वास्तव में, कई वैज्ञानिक अध्ययनों ने वायरस के लिए फेस मास्क/ कवर को ''वैक्सीन'' जैसा माना है। ऐसे समय में, इसकी बहुत आवश्यकता है। बड़े पैमाने पर लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए लोगों को फेस मास्क पहनने की आदत डाल लेनी चाहिए।''
न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि एक उल्लंघनकर्ता ,जिसने फेस कवर/ मास्क नहीं पहना है, वह ''केवल खुद का ही जोखिम में नहीं ड़ालता है बल्कि उसके आसपास के लोगों को भी जोखिम में डाल रहा है। ऐसे अन्य व्यक्ति उसके परिचित, रिश्तेदार, दोस्त या कोई अनजान व्यक्ति भी हो सकता है।''
महत्वपूर्ण रूप से, न्यायालय ने कहा कि,
''वास्तव में, वह समुदाय को जोखिम में डाल रहा है और इसलिए, अवधारणा और सामुदायिक सेवा के सिद्धांत के अनुसार, उक्त उल्लंघनकर्ता को उस समुदाय को अपनी सेवाएं देनी चाहिए,जिनको वह जोखिम में डाल रहा है।''
कोर्ट का निर्देश
न्यायालय ने राज्य को यह निर्देश दिया है कि वह संबंधित कानून के तहत अधिसूचना जारी करें, जिसमें जुर्माना लगाने के अलावा, ''अगर कोई व्यक्ति बिना मास्क के पाया जाता है तो उसे निम्नलिखित पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सामुदायिक सेवा प्रदान करनी होगी।'' जो इस प्रकार हैंः
1-कोई भी व्यक्ति यदि किसी सार्वजनिक स्थान पर फेस मास्क/ कवर लगाए बिना मिलता है या उसने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए बनाए गए प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है तो उसके लिए स्थानीय अधिकारियों द्वारा संचालित किसी भी COVID केयर सेंटर में सामुदायिक सेवा करनी अनिवार्य होगी।
2- बिना किसी भेदभाव के अनुकूल या अन्यथा सभी उल्लंघनकर्ताओं के लिए सामुदायिक सेवा का ऐसा आदेश लागू किया जाए।
3- काम की प्रकृति गैर-चिकित्सा की होनी चाहिए और इसमें सफाई, गृह व्यवस्था, खाना पकाने और भोजन परोसने में मदद, रिकॉर्ड तैयार करना, डेटा तैयार करना आदि गतिविधियाँ शामिल हो सकती हैं। अधिकारियों द्वारा उल्लंघनकर्ता की आयु, योग्यता, लिंग और स्वास्थ्य स्थिति पर विचार करने के बाद ही उसको दिए जाने वाले कार्यों की प्रकृति उचित रूप से तय की जाए।
4- ऐसी सामुदायिक सेवा दिन में कम से कम 4-6 घंटे के लिए होनी चाहिए व 5-15 दिनों की अवधि के लिए होनी चाहिए,जो भी अधिकारी को उपयुक्त और आवश्यक लगती हो।
5- ऐसे उदाहरणों को मीडिया में व्यापक रूप से प्रचारित किया जाना चाहिए, जिनमें सामाजिक, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और प्रिंट मीडिया शामिल हैं, ताकि एक वांछनीय निवारक प्रभाव हो।
फेस मास्क पहनने के संबंध में दिए गए अन्य आदेशः
https://www.livelaw.in/news-updates/strictly-implement-the-rule-indicating-punishment-for-non-wearing-of-mask-spitting-in-public-places-etc-madras-hc-directs-govt-163568
https://www.livelaw.in/news-updates/karnataka-hc-calls-upon-political-parties-to-make-statement-whether-it-will-instruct-it-part-membersfollowers-to-follow-rules-of-face-masks-and-social-distancing-166353
https://www.livelaw.in/news-updates/if-action-not-taken-today-we-wont-be-able-to-face-our-progenies-allahabad-hc-issues-wear-a-mask-in-public-163510
https://www.livelaw.in/news-updates/covid-19-allahabad-hc-asks-dgp-to-prepare-a-definite-modus-operandi-to-ensure-social-distancing-100-people-wear-masks-read-order-164530
केस शीर्षकः विशाल अवतानी बनाम गुजरात राज्य ,रिट याचिका (पीआईएल) संख्या 108/2020
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