बॉम्बे हाईकोर्ट ने SEBC रिजर्वेशन पर अंतिम निर्णय तक EWS कोटा के तहत चुने गए इंजीनियरों को नियुक्ति आदेश जारी करने पर रोक लगाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग (एमपीएससी) को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग श्रेणी (ईडब्ल्यूएस) के तहत आरक्षित इंजीनियरों के लिए नियुक्ति पत्र जारी करने से तब तक रोक दिया जब तक कि एसईबीसी उम्मीदवारों को ईडब्ल्यूएस में बदलने का मामला नहीं सुलझ जाता।
चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अभय आहूजा की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसईबीसी अधिनियम रद्द किए जाने के बाद ईडब्ल्यूएस पदों के लिए सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) के उम्मीदवारों पर विचार करने के एमपीएससी के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर अंतिम सुनवाई होनी बाकी है।
इसलिए अदालत ने 111 ईडब्ल्यूएस पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगा दी और मैट को जनवरी 2023 तक मामले को निपटाने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने कहा,
"यद्यपि हम आम तौर पर ट्रिब्यूनल के कामकाज में दखल देने से बचते हैं ताकि उसके समक्ष लंबित दलीलों का फैसला किया जा सके। वर्तमान मुद्दे के महत्व के संबंध में हम ट्रिब्यूनल को प्रोत्साहित करेंगे कि वह बिना अनुमति के मूल आवेदन की सुनवाई के लिए ईमानदारी से प्रयास करे। किसी भी पार्टी को कोई भी अनावश्यक स्थगन ताकि जनवरी, 2023 के अंत तक उसके द्वारा अंतिम निर्णय सुनाया जा सके।"
मूल आवेदकों ने यह कहते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि एमएटी से पहले अंतिम बहस शुरू होनी है। हालांकि, एमएटी ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
राहत से इनकार करते हुए एमएटी ने कहा कि भर्तियां 2019 से लंबित हैं और अंतिम नियुक्तियां ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही के परिणाम के अधीन होंगी।
वादी के लिए सीनियर एडवोकेट मिहिर देसाई ने तर्क दिया कि सरकार ने एमएटी से पहले अंतिम बहस शुरू होने से कुछ दिन पहले नियुक्ति पत्र जारी करने का फैसला किया।
हाईकोर्ट ने पाया कि 29 नवंबर, 2022 को एमएटी का आदेश यह ध्यान देने में विफल रहा कि हाईकोर्ट की समन्वय पीठ ने 29 जुलाई, 2022 को विकास बलवंत अलासे और अन्य में बनाम भारत संघ और अन्य मामले में महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एमएसईडीसीएल) द्वारा ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों के लिए आरक्षित पदों पर एसईबीसी उम्मीदवारों को नियुक्त करने की अनुमति देने वाले समान निर्णय को खारिज कर दिया था।
हाईकोर्ट ने नोट किया कि जबकि सुप्रीम कोर्ट में आदेश के खिलाफ एमएसईडीसीएल द्वारा अपील दायर की गई है, कोई स्टे ऑपरेटिव नहीं है।
हालांकि, सरकार ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आरक्षित पदों के अलावा अन्य पदों को भरने के लिए चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी करने के लिए स्वतंत्र होगी।
केस टाइटल: अमरनाथ मधुकर हैशेट बनाम महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग और अन्य।
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