"यह अंतहीन रूप से नहीं चल सकता, हमें एक निर्णय की आवश्यकता है": बॉम्बे हाईकोर्ट ने गोविंद पानसरे हत्या की जांच महाराष्ट्र एटीएस को स्थानांतरित करने करने की मांग वाली याचिका पर सरकार से जवाब मांगा

Update: 2022-07-21 07:30 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से कहा कि वह मारे गए कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे की हत्या की जांच एसआईटी से महाराष्ट्र एटीएस को स्थानांतरित करने की मांग करने वाली याचिका पर जल्द जवाब दे।

खंडपीठ की अध्यक्षता कर रही जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने कहा,

"हम आपको पहली तारीख तक का समय देंगे, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि कुछ निर्णय लिया जाएगा। हम अंतहीन इंतजार नहीं कर सकते। हम चाहते हैं कि कुछ निर्णय लिया जाए।"

अदालत ने राज्य को एक अगस्त, 2022 तक समय यह तय करने के लिए दिया है कि वह जांच स्थानांतरण के लिए सहमत है या नहीं। साथ ही मामले पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा।

मारे गए 82 वर्षीय कम्युनिस्ट नेता की बेटी स्मिता पानसरे द्वारा दायर आवेदन में कहा गया कि सुबह की सैर पर उसके पिता की गोली मारकर हत्या करने के लगभग सात साल बाद भी एसआईटी इस मामले में कोई ठोस सफलता हासिल करने में विफल रही है।

आवेदन में कहा गया कि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर, प्रोफेसर कलबुर्गी, पानसरे और गौरी लंकेश की हत्याओं के बीच संबंध महाराष्ट्र एटीएस ने 2019 के नालासोपारा आर्म्स केस 2019 की जांच के दौरान बनाया था।

महाराष्ट्र सरकार के सीनियर एडवोकेट अशोक मुंदरगी ने गुरुवार को कहा कि एसआईटी के जांच अधिकारी की तबीयत बहुत खराब है, इसलिए वह राज्य के गृह विभाग से जांच के हस्तांतरण के लिए निर्देश प्राप्त करने का प्रबंधन नहीं कर सके।

याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट अभय नेवागी ने बताया कि स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल की जानी है, जो इस मामले में नहीं की गई।

कोर्ट ने कहा,

"हम आपको एक सप्ताह का समय देंगे। आप टेलीफोन पर निर्देश ले सकते हैं। हम इस बार समझ सकते हैं, लेकिन यह अंतहीन नहीं चल सकता। आप सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे।

मुंदरगी ने अदालत को आश्वासन दिया कि एक सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। बाद में मामले को स्थगित कर दिया गया।

याचिका के मुताबिक मामले में कथित शूटर सारंग अकोलकर और विनय पवार अभी भी फरार हैं।

याचिका में कहा गया कि कई सह-अभियुक्तों ने आरोपमुक्त की मांग को लेकर आवेदन दाखिल किया।

याचिका में कहा गया,

"यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो फरार आरोपियों को वापस लाने की जांच भी नहीं हो सकती है।"

याचिका में कहा गया,

"कॉमरेड गोविंद पानसरे के मास्टरमाइंड और शूटरों की पहचान करने के लिए क्रि केस को प्रतिवादी एसआईटी से तत्काल प्रभाव से महाराष्ट्र एटीएस में स्थानांतरित किया जा सकता है।"

याचिका के अनुसार, हत्याओं की जांच के लिए विभिन्न जांच एजेंसियों द्वारा पांच अलग-अलग आरोप पत्र दायर किए गए हैं।

याचिका में कहा गया,

"हालांकि, सभी 5 मामलों के पीछे के मास्टरमाइंड तक पहुंचने के लिए किसी भी जांच एजेंसी द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया है।"

वर्तमान में संबंधित राज्य सरकारों ने वास्तव में हिटलिस्ट में शामिल लोगों को सुरक्षा प्रदान की है। वर्तमान याचिकाकर्ता सहित 40 बुद्धिजीवियों को सुरक्षा प्रदान की गई है।

याचिका में आगे कहा गया,

"नालासोपारा बम विस्फोट मामले में सभी 5 चार्जशीट पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि गहरी और बड़ी साजिश के तहत सभी 5 मामलों के पीछे के मास्टरमाइंड का पता नहीं चला है।

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