बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने बताया, डॉ अम्बेडकर की थीसिस प्रकाशित की जाएगी
बॉम्बे हाईकोर्ट में महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को बताया किया कि वह डॉ. बी.आर. अम्बेडकर की एम.एससी. थीसिस प्रकाशित की जाएगी।
जस्टिस प्रसन्ना वरले और जस्टिस किशोर संत की खंडपीठ स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अंबेडकर के कार्यों के संरक्षण और प्रकाशन के लिए परियोजना को रोकने के सरकार के पहले के फैसले का संज्ञान लिया गया है।
राज्य ने गुरुवार को अदालत को सूचित किया कि यूके सीनेट लाइब्रेरी ने राज्य को 'ब्रिटिश भारत में प्रांतीय शाही वित्त का विकेंद्रीकरण' टाइटल से अंबेडकर की थीसिस प्रकाशित करने की अनुमति दी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा,
"हम इसे खंड 23 के रूप में प्रकाशित करने के लिए समिति द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए निर्णय की भी सराहना करते हैं।"
राज्य के लिए एजीपी पूर्णिमा कंथारिया ने परियोजना की देखरेख के लिए गठित समिति द्वारा आयोजित बैठक का कार्यवृत्त प्रस्तुत किया। इसकी अध्यक्षता उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने की। बैठक में विभाग के प्रमुख सचिव सहित सदस्य सचिव एवं समिति के सदस्य उपस्थित थे।
कार्यवृत्त के अनुसार समिति के सदस्य सचिव के मानदेय को बढ़ाकर रु. 10,000 से रु. 25,000 किया गया. समिति ने अन्य सदस्यों के मानदेय के मुद्दे पर विचार नहीं किया।
अदालत ने कहा,
"... अगर समिति ने सदस्य सचिव के रूप में कोई निर्णय लिया है तो वह निश्चित रूप से अन्य सदस्यों को मानदेय प्रदान करने का निर्णय ले सकती है।"
इसके साथ ही कहा कि समिति को अगली बैठक में इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए।
इससे पहले, अदालत ने समिति को दिए गए मामूली पारिश्रमिक और अपर्याप्त सहयोगी स्टाफ की आलोचना की थी।
कार्यवृत्त के अनुसार मंत्री ने लोक निर्माण विभाग को समिति के सदस्य सचिव के आवास के लिए अपना गेस्ट हाउस या तुषार भवन में उपलब्ध कोई भी खाली फ्लैट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। इसके अलावा सदस्य सचिव के यात्रा व्यय का भी उल्लेख किया गया।
हाईकोर्ट की ओर से जनहित याचिका पर मुकदमा करने वाले एडवोकेट स्वराज जाधव ने कहा कि आवास और यात्रा खर्च का प्रावधान अकेले सदस्य सचिव के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता, क्योंकि सदस्य बैठक के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से यात्रा करते हैं।
कंथारिया ने अदालत को बताया कि समिति के सदस्यों के रहने के स्थान से बैठक स्थल तक आने-जाने का खर्च राज्य वहन करेगा। इसके अलावा, बैठकों के लिए मुंबई का दौरा करते समय सदस्य सदस्य सचिव को दिए गए आवास का भी लाभ उठा सकते हैं।
बताया गया कि अनुसंधान और कार्यों के डिजिटलीकरण के लिए आवश्यक जनशक्ति और सामग्री को आवश्यकता के अनुसार आउटसोर्स किया जाएगा।
बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार, समिति के कामकाज के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध कराने के लिए मुंबई यूनिवर्सिटी को प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
अदालत ने समिति को 6 सप्ताह के भीतर अपनी अगली बैठक आयोजित करने का निर्देश दिया और मामले को स्थगित कर दिया।
केस नंबर- एसएमपी/1/2021
केस टाइटल- हाईकोर्ट ऑन इट्स मोशन बनाम महाराष्ट्र राज्य