हाईकोर्ट ने मुंबई कलेक्टर को हवाई अड्डे के आसपास बनी 48 "ऑब्सट्रक्शन" को तोड़ने के लिए कहा

Update: 2022-07-29 08:49 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कलेक्टर (मुंबई उपनगरीय) को ऑब्स्ट्रक्शन को दूर करने के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें हवाई अड्डे के आसपास बनी 48 ऑब्स्ट्रक्शन को ध्वस्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।

इन ऑब्स्ट्रक्शन में ऊंची इमारतों की कुछ मंजिलें शामिल हैं। इन इमारतों का विध्वंस विमान नियम 1994 के नियम 8 के तहत किया जाएगा।

चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एमएस कार्णिक की खंडपीठ एडवोकेट यशवंत शेनॉय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हवाई सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी ऑब्स्ट्रक्शन को दूर करने की मांग की गई थी।

अदालत ने आदेश में कहा,

"48 ऑब्स्ट्रक्शन की पहचान की गई है। अब कलेक्टर को व्यक्तिगत रूप से इनकी पुष्टि करने और 19 अगस्त तक इन ऑब्स्ट्रक्शन को हटाने के लिए उठाए गए कदमों पर हलफनामा प्रस्तुत करना होगा।"

सुनवाई के दौरान, शुक्रवार को याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से अदालत को बताया कि ऑब्स्ट्रक्शन की संख्या बढ़कर 498 हो गई है, जब अधिकारियों ने 12 साल पहले पारित आदेश का पालन नहीं किया।

हवाई अड्डे के प्राधिकरण के 2010 के सर्वेक्षण के अनुसार, छत्रपति शिवाजी महाराज हवाई अड्डे के रनवे की पहुंच सतहों पर 137 ऑब्स्ट्रक्शन/भवन संरचनाएं पाई गईं हैं।

1994 के नियमों के नियम 4 के तहत एक सौ दस नोटिस जारी किए गए और 2017 में डीजीसीए ने इनमें से 63 संरचनाओं के संबंध में आदेश पारित किए, जहां 9 ने डीजीसीए के आदेशों के खिलाफ अपील दायर की, वहीं 6 ने उनका अनुपालन किया।

हालांकि, 48 ऑब्स्ट्रक्शन को अभी भी हटाया जाना बाकी है, जिसका विवरण 2017 में ही जिला कलेक्टर को प्रस्तुत किया गया है।

इससे पहले अदालत ने बीएमसी और कलेक्टर को 1994 के नियमावली के नियम 8 के मद्देनजर विध्वंस के लिए उठाए गए कदमों के बारे में अदालत को सूचित करने को कहा था। अदालत ने कहा कि इस तरह के विध्वंस के लिए जिला कलेक्टर को उपाय करने होंगे।

अगप मनीष पाले द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, कलेक्टर ने बीएमसी अधिकारियों के साथ एक बैठक बुलाई और कहा कि बाद में विध्वंस के साथ आगे बढ़ना होगा।

हालांकि, अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि 1994 के विमान नियमों के नियम 8 के तहत विध्वंस के साथ आगे बढ़ना जिला कलेक्टर की जिम्मेदारी है।

सीजे ने आदेश में कहा,

"जिम्मेदारी को स्थानांतरित करने का प्रयास स्पष्ट है। हम हलफनामे से प्रभावित नहीं हैं। हम कलेक्टर को बीएमसी की जिम्मेदारी सौंपने की मंजूरी नहीं देते।"

सीजे ने कहा,

"कलेक्टर को बीएमसी की मदद की आवश्यकता हो सकती है, वे इस तरह की मदद देने को तैयार हैं।"

इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 22 अगस्त, 2022 को तय की। डीजीसीए की ओर से एडवोकेट अमोघ सिंह और प्रणव ठाकुर पेश हुए।

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