सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती स्थानीय आबादी में यह मिथक तोड़ने की है कि 'बिहार कोरोना (COVID-19) को खा गया है' : पटना हाईकोर्ट

Update: 2020-11-28 12:07 GMT

पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार (26 नवम्बर) को टिप्पणी की कि सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बिहार के लोगों की मानसिकता को बदलने और स्थानीय आबादी में यह मिथक तोड़ने की है कि 'बिहार कोरोना (COVID-19) को खा गया है।'

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ COVID-19 से निपटने वाले व्यक्तियों के हितों की रक्षा करने के लिए विशेष दिशानिर्देश दिये जाने की मांग करने और इस संकट से निपटने के लिए बुनियादी ढांचा निर्माण को सुनिश्चित करने संबंधी कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।

हालांकि कोर्ट को गुरुवार को यह अवगत कराया गया कि सुप्रीम कोर्ट देश भर में COVID-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति से निपटने के मसले पर समग्रता में सुनवाई कर रहा है और संभवत: इस याचिका का भी यही विषय वस्तु है।

इसके परिणामस्वरूप, एडवोकेट जनरल ने बेंच के समक्ष कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित मामलों में शामिल इन मुद्दों की जानकारी प्राप्त करेंगे और बेंच को इस बारे में अवगत करायेंगे। इतना ही नहीं, वह इस बात के निर्धारण में भी सहयोग करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुनवाई के मद्देनजर यहां इन याचिकाओं की आगे सुनवाई जरूरी है या नहीं।

कोर्ट की टिप्पणियां

कोर्ट ने कहा,

"बिहार बड़ी आबादी वाला राज्य है। भारत की आबादी का करीब दसवा हिस्सा बिहार में रहता है, जहां आबादी का घनत्व सबसे अधिक है।"

कोर्ट ने आगे कहा,

"आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 और एपिडेमिक डीजिजेज एक्ट, 1897 के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जारी किये गये दिशानिर्देशों, तैयार की गयी नीतियों और शुरू किये गये कार्यक्रमों को शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में उजागर करने, लोकप्रिय बनाने और लोगों में इन्हें लेकर जागरूकता पैदा करने की जरूरत है।"

एडवोकेट जनरल ने कोर्ट को सूचित किया कि,

"मौजूदा जलवायु परिस्थितियों के मद्देनजर राज्य सरकार ने स्थानीय आबादी को जागरूक एवं संवेदनशील बनाने के लिए अभियान शुरू किया है।"

इस पर कोर्ट ने कहा,

"सरकार को इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया सहित सभी प्रकार के संचार माध्यमों का सहारा लेना चाहिए। समाज कल्याण से जुड़ी योजनाओं से सम्बद्ध व्यक्तियों को भी सरकार की ओर से जारी परामर्श पर अमल के लिए व्यक्तिगत तौर पर आम आदमी को जागरूक करना चाहिए, यथा- कम से कम मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाये रखने, सार्वजनिक स्थानों पर एकत्रित होने से बचने तथा COVID-19 महामारी से निपटने के लिए जरूरी सभी सावधानियां बरतने के लिए।"

एडवोकेट जनरल की ओर से अनुरोध किये जाने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ दिसम्बर, 2020 की तारीख मुकर्रर की।

गौरतलब है कि अप्रैल 2020 में कानून के एक छात्र ने पटना हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और COVID-19 से निपटने वाले व्यक्तियों के हितों की रक्षा करने तथा इस संकट से उबरने के लिए बुनियादी संरचना निर्माण सुनिश्चित करने की मांग की थी। बाद में, कुछ अन्य व्यक्तियों ने भी याचिकाएं दायर की थीं, जिन्हें एक साथ सुनवाई के लिए सम्बद्ध कर दिया गया था।

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