पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष का लाइसेंस निलंबित किया

Update: 2024-07-11 05:59 GMT

पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वकील विकास मलिक का लाइसेंस निलंबित कर दिया तथा उनके खिलाफ शिकायतों पर अंतिम निर्णय होने तक किसी भी न्यायालय में वकालत करने पर रोक लगा दी।

यह निर्णय बार काउंसिल की अनुशासन समिति द्वारा लिया गया, जिसकी अध्यक्षता अध्यक्ष करणजीत सिंह कर रहे थे। इसमें सदस्य रजत गौतम और सह-चयनित सदस्य रवीश कौशिक शामिल थे। यह निर्णय तब लिया गया, जब यह कहा गया कि मलिक ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की हार्ड डिस्क कथित रूप से अपने साथ ली।

मलिक ने हाल ही में एचसीबीए अध्यक्ष का कार्यभार उपाध्यक्ष जसदेव सिंह बराड़ को सौंप दिया, जब जस्टिस गुरमीत सिंह संधावालिया की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मलिक के खिलाफ वकील पर कथित रूप से हमला करने के आरोप में दर्ज की गई एफआईआर पर संज्ञान लिया था।

बार काउंसिल ने मलिक का लाइसेंस निलंबित कर दिया, क्योंकि उन्हें बताया गया कि एफआईआर में उसके खिलाफ सबूत नष्ट करने के लिए उसने सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर/हार्ड-डिस्क अपने साथ ली।

अनुशासन समिति ने आदेश में कहा,

"उपर्युक्त परिस्थितियों के मद्देनजर, हम यह उचित समझते हैं कि वर्तमान शिकायत के अंतिम निर्णय तक उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया जाना चाहिए, जिससे साक्ष्यों को नष्ट करने और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका से बचा जा सके।"

समिति ने कहा कि मलिक ने बार-बार न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप किया है और बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जैसे महान और प्रतिष्ठित पद पर कलंक लगाया है। गौरतलब है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को मलिक के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया।

खंडपीठ ने आदेश दिया,

"हमारे संज्ञान में यह बात आई कि प्रतिवादी नंबर 2 (विकास मलिक) के खिलाफ महिला वकीलों और बार एसोसिएशन की महिला कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न की कई शिकायतें मिली हैं। परिणामस्वरूप, चीफ जस्टिस के कार्यालय को, जो इन शिकायतों को प्राप्त कर रहा है, निर्देश दिया जाता है कि वह इन शिकायतों की प्रतियां बार काउंसिल को उपलब्ध कराए, जिससे इन आरोपों की भी जांच की जा सके। तदनुसार, कार्यवाही की जा सके। प्रथम पीठ होने के नाते इस संस्था की प्रतिष्ठा की रक्षा करना इस न्यायालय का परम कर्तव्य है, जिसे प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा स्पष्ट रूप से कम किया गया, जो आज भी उपस्थित होने के लिए आगे नहीं आया, जबकि उसे अच्छी तरह से पता है कि कार्यवाही इस न्यायालय के समक्ष लंबित है।"

यह आदेश पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के वकीलों द्वारा दायर जनहित याचिका में पारित किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि मलिक और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव स्वर्ण सिंह तिवाना ने एसोसिएशन के धन का दुरुपयोग और गबन किया।

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