'क्या वायरस के फैलाव का कोई निश्चित पैटर्न है?': आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य से तीन जिलों में COVID-19 मामलों में वृद्धि के कारणों की सूची बनाने को कहा

Update: 2021-07-13 08:38 GMT

आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के तीन विशेष जिलों- पूर्वी गोदावरी, पश्चिम गोदावरी और चित्तूर में COVID-19 मामलों में वृद्धि पर राज्य सरकार से जवाब मांगा। इसने अधिकारियों को पिछले पंद्रह दिनों की अवधि में राज्य में जिलेवार पॉजीटिव दर पेश करने और यह भी इंगित करने का आदेश दिया है कि वायरस के फैलने का क्या कोई निश्चित पैटर्न कारण है।

मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी और न्यायमूर्ति निनाला जयसूर्या की खंडपीठ ने आदेश दिया:

"अगली नियत तारीख तक सी. सुमन (राज्य के वकील) पिछले पंद्रह दिनों की अवधि में प्रत्येक जिले में पॉजीटिव दर को सारणीबद्ध रूप में न्यायालय के समक्ष रखेंगे। साथ ही यह भी इंगित करेंगे कि क्या कोई निश्चित कारण है या नहीं। किसी विशेष क्षेत्र में वायरस के फैलने का पैटर्न या यह बिना किसी निश्चित पैटर्न के तहत फैल रहा है।"

एमिकस क्यूरी वाईवी रवि प्रसाद ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार द्वारा यह पता लगाने के प्रयास किए जाने चाहिए कि क्या विशेष क्षेत्रों में कोई घटना हुई है ताकि विभिन्न रणनीतियों को अपनाकर महामारी का अधिक प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सके।

प्रसाद ने COVID-19 के प्रसार को रोकने में सूक्ष्म-स्तरीय प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सुझाव दिया,

"यदि विशेष क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर घटना होती है, तो ऐसे क्षेत्रों को नियंत्रण क्षेत्र घोषित करने के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं।"

इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने कहा कि लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन, अन्य दवाओं / इंजेक्शन की उपलब्धता और मुआवजे का भुगतान करने के लिए COVID-19 मौतों के सही प्रतिबिंब से संबंधित पहलुओं पर सुनवाई की अगली तारीख पर विचार किया जाएगा।

न्यायालय ने पहले केंद्र और राज्य सरकार से विभिन्न राज्यों को एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन के आवंटन से संबंधित मामलों पर और तीसरी COVID-19 लहर की स्थिति से निपटने के लिए राज्य द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी जवाब मांगा था।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट को राज्य में ब्लैक फंगस के सक्रिय मामलों की संख्या से अवगत कराया था, जो लगातार बढ़ रहे हैं। हालाँकि, एमिकस क्यूरी ने प्रस्तुत किया था कि 1700 के बड़े अंतर से राज्य के साथ-साथ केंद्र के प्रक्षेपण में विसंगति है।

वैक्सीनेशन के पहलू पर राज्य सरकार ने न्यायालय को अवगत कराया कि 45+ आयु वर्ग में 93,32,000 को वैक्सीनेशन की पहली खुराक दी गई। वहीं 25,23,000 को दूसरी खुराक दी गई। साथ ही बताया गया कि 18-45 आयु वर्ग में 22,33,000 व्यक्तियों को वैक्सीनेशन की पहली खुराक दी गई और 28,000 को दूसरी खुराक भी दी गई।

उक्त पहलुओं की जांच करते हुए अदालत ने मामले को 22 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया।

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