कैदी जेल में फोन की सुविधा का हकदार नहीं हैः इलाहाबाद हाईकोर्ट

Update: 2020-10-23 05:00 GMT

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार (20 अक्टूबर) को दिए गए एक आदेश में स्पष्ट कर दिया कि एक कैदी जेल में फोन सुविधा का हकदार नहीं है।

न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता (मोहन सिंह) ने अदालत से उसे जेल में फोन रखने की सुविधा प्रदान करने का अनुरोध किया था।

यह याचिका निम्नलिखित प्रार्थना के साथ दायर की गई थी:

"आदरपूर्वक प्रार्थना की जाती है कि यह माननीय न्यायालय निम्न आदेश पारित करेंं।

(i)  याचिकाकर्ता को तीन महीने के लिए पैरोल पर रिहा करने के लिए प्रतिवादी नंंबर 1 को निर्देश देते हुए परमादेश की प्रकृति में एक रिट जारी करें। 

(ii)  COVID-19 की महामारी की स्थिति के दौरान याचिकाकर्ता को जेल फोन की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिवादी संख्या 1 को निर्देशित करने के लिए परमादेश की प्रकृति में एक रिट जारी करें।"

 न्यायालय ने स्पष्ट किया कि कोई कैदी जेल में फोन सुविधा का अधिकार नहीं रखता है।

कोर्ट ने कहा,

"अब COVID-19 महामारी के कारण कोई लॉकडाउन नहीं है और याचिकाकर्ता जेल में किसी भी फोन की सुविधा पाने का हकदार नहीं है, क्योंकि, इस संबंध में  मांगी गई राहत कानून की नजर में उचित नहीं है, इसे अस्वीकार कर दिया गया है।" 

प्रतिवादी को निर्देश देने के लिए परमादेश की प्रार्थना के जवाब में याचिकाकर्ता को तीन महीने के लिए पैरोल पर रिहा करने की मांंग पर कोर्ट ने माना कि,

"रिट क्षेत्राधिकार में इस तरह की राहत प्रदान नहीं की जा सकती, खासकर जब याचिकाकर्ता ने उचित मंच पर पहले पैरोल के लिए आवेदन नहीं किया हो।"

इस प्रकार रिट याचिका को खारिज कर दिया गया।

आदेश की प्रति डाउनलोड करें



Tags:    

Similar News