इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार, उसके अधिकारियों और समितियों को विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम लागू करने का निर्देश दिया

Update: 2021-11-17 12:45 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश सरकार और उसके सभी संबंधित अधिकारियों/समितियों को विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 को तत्काल लागू करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया। खंडपीठ एक याचिकाकर्ता मिथलेश नारायण तिवारी की याचिका पर सुनवाई कर रहा थी, जो 2018 की हत्या के मामले में गवाह है। प्रोटेक्शन के लिए उसका आवेदन समिति/पुलिस अधीक्षक, प्रयागराज जिला स्तर द्वारा दो बार खारिज कर दिया गया।

हाईकोर्ट के पांच अक्टूबर, 2021 के आदेश के बाद प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता को सुनवाई में निर्धारित तारीखों पर संरक्षण देना शुरू कर दिया, जो सुनवाई के समापन तक जारी रहेगी।

मुख्य सरकारी वकील ने यह भी प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता को 13 अक्टूबर, 2021 के आदेश द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई। उन्होंने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 को लागू करने का निर्णय लिया। कई कदम उठाए गए और इन्हें पूरी तरह लागू किया जा रहा है।

इस पृष्ठभूमि के खिलाफ अदालत ने शुरू में महेंद्र चावला और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य (2019) 14 एससीसी 615 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में भारत संघ द्वारा तैयार विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 को मंजूरी दी थी और इसे और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसे लागू करने का निर्देश दिया था।

इसके अलावा, अदालत ने सचिव (गृह) द्वारा दायर हलफनामे पर यह कहते हुए विचार किया कि जिला और सत्र न्यायाधीश (अध्यक्ष), जिला मजिस्ट्रेट (सदस्य सचिव) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक / पुलिस अधीक्षक (सदस्य) से मिलकर उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में बनी स्थायी समिति का गठन किया गया था।

हालांकि, कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा केवल पत्र जारी किए गए हैं, लेकिन विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 को अक्षरश: लागू नहीं किया जा रहा है।

कोर्ट ने राज्य को विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम लागू करने का निर्देश देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए कहा था,

"वर्तमान रिट याचिका दायर किए जाने और 05.10.2021 को एक आदेश पारित होने के बाद ही राज्य के प्रतिवादियों ने आदेश दिनांक 30.10.2021 को पारित करके याचिकाकर्ता को प्रोटेक्शन दिया। यह उदाहरण स्वयं सत्य को समझने के लिए पर्याप्त है कि राज्य सरकार द्वारा जारी किए जा रहे विभिन्न परिपत्र या पत्र केवल खानापूर्ति करना हैं और वास्तव में विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 को राज्य के प्रतिवादियों द्वारा ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है।"

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिसंबर 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार को एक जनहित याचिका (जनहित याचिका) पर नोटिस जारी कर विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग की थी।

मद्रास हाईकोर्ट ने सितंबर 2020 में विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम, 2018 के गैर-कार्यान्वयन पर नाराजगी व्यक्त की थी।

बेंच ने कहा,

"हालांकि विटनेस प्रोटेक्शन स्कीम वर्ष 2018 में विकसित की गई और फिर भी स्कीम विटनेस को अपराधियों के खिलाफ सच्चाई के साथ आने का विश्वास नहीं दिला रही है।"

केस का शीर्षक - मिथलेश नारायण तिवारी बनाम यू.पी. राज्य और अन्य

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