इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कथित पीएफआई नेता को गैरकानूनी गतिविधियों के लिए 20 करोड़ रुपये से अधिक इकट्ठा करने के आरोप में जमानत देने से इनकार कर दिया
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीएमएलए मामले में कथित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नेता अब्दुल रजाक पीडियाक्कल की जमानत याचिका मंगलवार को खारिज कर दी, जिसमें उन पर पीएफआई पर 20 करोड़ रुपये से अधिक धन एकत्र करने और काले धन को वैध करने का आरोप लगाया गया है।
जस्टिस राजेश सिंह चौहान की खंडपीठ ने मंगलवार को जमानत याचिका खारिज कर दी।
उल्लेखनीय है कि ईडी ने दिसंबर 2021 में पीडियाक्कल के आवास के साथ-साथ मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट (एमवीवीपी) साइट पर छापा मारा था, जिसमें उसे विदेशों से संदिग्ध विदेशी धन की प्राप्ति में कई विसंगतियां मिली थीं और साथ ही नकद खर्च और बही खातों में दर्ज किया गया था।
इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लखनऊ में विशेष पीएमएलए कोर्ट के समक्ष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके और उनके सह-आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
ईडी द्वारा दायर चार्जशीट में कहा गया है कि उन्होंने पीएफआई की गैरकानूनी गतिविधियों के लिए धन का उपयोग करने के उद्देश्य से भारत के साथ-साथ विदेशों में भी धन जुटाने की साजिश रची।
ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि पीडियाक्कल मुन्नार विला विस्टा प्रोजेक्ट (एमवीवीपी) का सबसे बड़ा शेयरधारक था, जिसे कथित रूप से विदेशों और भारत में एकत्रित धन को लूटने के मकसद से स्थापित किया गया था।
ईडी की चार्जशीट में यह भी आरोप लगाया गया है कि वह कुछ अन्य कंपनियों का भी मालिक था और उनका इस्तेमाल पीएफआई की गतिविधियों के लिए धन इकट्ठा करने के लिए किया जा रहा था।