इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीजे राजेश बिंदल ने लंबित आपराधिक अपीलों का शीघ्र निपटान करने का आह्वान किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबे समय से लंबित आपराधिक अपीलों पर हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए हाईकोर्ट के नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने सोमवार को अदालत में लंबित आपराधिक अपीलों के शीघ्र निपटान का आह्वान किया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में उनके सम्मान में आयोजित 'फुल कोर्ट वेलकम रेफरेंस' में बोलते हुए सीजे बिंदल ने आज बार का सहयोग मांगा ताकि लंबित मामलों का जल्द से जल्द निस्तारण किया जा सके।
मुख्य न्यायाधीश बिंदल ने टिप्पणी की,
"यह चिंता का विषय है कि इस न्यायालय में पुराने मामले लंबित हैं, जो लखनऊ पीठ के समक्ष 1974 तक पुराने हैं। हमें इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट से बहुत सारी टिप्पणियां मिल रही हैं, विशेष रूप से आपराधिक मामलो के विषय में। मैं बार से अनुरोध करता हूं कि आपकी बड़ी मदद से हम उसमें एक अच्छा नाम और प्रतिष्ठा प्राप्त करने में सक्षम होंगे।"
महत्वपूर्ण बात यह है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के पिछले महीने के उस आदेश की पृष्ठभूमि में आई है, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आपराधिक अपीलों के लंबे समय से लंबित मामले पर स्वत: संज्ञान से मामला दर्ज करने का निर्देश दिया गया था।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक अपीलों के शीघ्र निपटान के मुद्दे पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जवाब मांगा था, हालांकि, यह देखते हुए कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अपने हलफनामे में दिए गए सुझाव "बोझिल" थे, अदालत ने स्वत: संज्ञान मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले पीठ ने यह भी नोट किया था कि कई दोषी सजा को निलंबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा आपराधिक अपीलों पर सुनवाई नहीं की जा रही है।
सीजे बिंदल ने इस कार्यक्रम में बोलते हुए बार और बेंच दोनों द्वारा किए जाने वाले संयुक्त प्रयासों पर भी जोर दिया।
मुख्य न्यायाधीश बिंदल ने निष्कर्ष निकाला,
"बार और बेंच को एक साथ काम करना होगा, वे एक ही रथ के दो पहिये हैं। हम एक साथ काम करेंगे और हम समाज में वादियों की सेवा करने में सक्षम होंगे।"