इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट पर छह साल के बाद भी अमल नहीं करने पर एडीजे से स्पष्टीकरण मांगा

Update: 2023-01-11 14:48 GMT

Allahabad High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक आपराधिक मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ छह साल पहले जारी गैर-जमानती वारंट पर अब तक अमल नहीं होने पर हैरानी जताई।

अदालत ने अतिरिक्त जिला न्यायाधीश/विशेष न्यायालय/डीएए, बदायूं से लिखित जवाब भी मांगा कि जुलाई 2016 के गैर-जमानती वारंट जारी करने के आदेश का आज तक पालन क्यों नहीं किया गया।

जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की पीठ ने कहा,

“ यह देखना चौंकाने वाला है कि प्रतिवादी संख्या 3, 4 और 5 (पुलिसकर्मी) के खिलाफ पहली बार 20.7.2016 को गैर-जमानती वारंट जारी किए गए थे और अब हम जनवरी 2023 में हैं लेकिन छह साल की अवधि समाप्त होने के बाद भी अतिरिक्त जिला न्यायाधीश / विशेष न्यायालय / डीएए, बदायूं पुलिस कर्मियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट निष्पादित करने में असमर्थ रहे।"

पीठ ने आगे कहा कि पुलिसकर्मी कानून से ऊपर नहीं हैं और कानून और कानूनी प्रावधान सभी पर समान रूप से लागू होना चाहिए और किसी भी व्यक्ति को उसकी स्थिति, शक्ति और समाज में स्थान के आधार पर कोई विशेष छूट नहीं दी जानी चाहिए ।

यह मामला तब सामने आया जब अदालत सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें आवेदक ने तर्क दिया कि प्रतिवादी संख्या 3, 4 और 5 (पुलिसकर्मी) आईपीसी की धारा 436, 395, 397 के मामले में आरोपी हैं, लेकिन वे ट्रायल में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

कोर्ट ने इसे चौंकाने वाली स्थिति बताया कि वर्ष 2016 में उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था, लेकिन उस पर आज तक अमल नहीं किया गया। अदालत ने संबंधित अदालत से इस बारे में लिखित स्पष्टीकरण मांगा।

कोर्ट ने संबंधित कोर्ट को प्रतिवादी संख्या 3, 4 और 5 के खिलाफ गैर-जमानती वारंट निष्पादित करने और अगली तय तारीख (1 फरवरी, 2023) तक इस आशय की रिपोर्ट देने को भी कहा।

आवेदक के वकील: हरदेव प्रजापति

विरोधी पक्ष के वकील: जीए

केस टाइटल - चंद्रपाल बनाम यूपी राज्य और 4 अन्य [सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आवेदन नंबर - 434/2023]

आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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