एयर इंडिया कर्मचारी एसोसिएशन ने लॉकडाउन के दौरान 10% वेतन काटने के ख़िलाफ़ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की
एयर इंडिया के तीन कर्मचारी संगठनों ने लॉकडाउन के दौरान 10% वेतन काटने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
इस याचिका में इंडियन पाइलट्स गिल्ड, एयर इंडिया एयरक्राफ़्ट इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कहा है कि मार्च महीने में वेतन में कटौती ग़ैरक़ानूनी है क्योंकि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत केंद्र सरकार ने जो आदेश दिए हैं उसमें COVID-19 की वजह से वेतन में कटौती नहीं करने को कहा गया है, लेकिन कंपनी ने वेतन काटा है। 1 मार्च से 24 के बीच भ कर्मचारियों का वेतन 10% काटा गया था।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि
"गृह मंत्रालय के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ज़िला मजिस्ट्रेट/डीपीपी निजी रूप से इस आदेश को लागू करने के लिए ज़िम्मेदार होंगे। यह कि वैसे भी मालिक-नौकर का रिश्ता ज़िंदा है; अगर सदस्य कर्मचारी काम करने को इच्छुक है तो प्रतिवादी नियोक्त उसे मासिक वेतन का भुगतान करने के लिए बाध्य है।"
याचिकाकर्ता सदस्यों को अपने वेतन के स्लिप से पता चला कि उनका मार्च महीने के वेतन से जिसका भुगतान उन्हें 18 अप्रैल को किया गया, 10% वेतन काट लिया गया है और इसमें लॉकडाउन से पूर्व उन्होंने जितने दिन काम किए थे उसके पैसे भी काटे गए हैं। याचिका में कहा गया है कि मासिक भत्ते में मूल वेतन और मकान का किराया भत्ता, महंगाई भत्ता शामिल है।
याचिका में कहा गया कि
"यह नोट करना ज़रूरी है कि पायलटों को …उनके वेतन का बड़ा हिस्सा (लगभग 70%) भत्ते के रूप में मिलता है। याचिकाकर्ताओं को यह जानकर धक्का लगा कि उनको कोई पूर्व सूचना दिए उनके वेतन से 10% की कटौती कर दी गई…।"
सिर्फ़ कैबिन क्रू को इस कटौती से तीन महीने के लिए अलग रखा गया है।
यह याचिका एडवोकेट जेन कॉक्स और करिश्मा राव ने दायर की है। इसके अलावा नागरिक उड्डयन मंत्री, हरदीप सिंह पूरी और एयर इंडिया के सीएमडी को भी पत्र लिखा गया है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से एयर इंडिया को वेतन में हुई कटौती को वापस लेने को कहने का निर्देश देने का आग्रह किया है।
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