"संस्थान की भलाई के लिए": एजी केके वेणुगोपाल ने पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति देने से इनकार किया
भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने एक इंटरव्यू के दौरान पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा दिए गए बयानों के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने पर अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह जवाब एक्टिविस्ट साकेत गोखले द्वारा न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट के बारे में अपने बयानों के लिए गोगोई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के बारे में पूछने पर दिया।
सहमति देने से इनकार करते हुए एजी वेणुगोपाल ने स्वीकार किया है कि गोगोई ने हाल के एक इंटरव्यू में न्यायपालिका और सुप्रीम कोर्ट के बारे में कुछ बहुत ही कड़े बयान दिए हैं और उनकी 'उन निराशाओं के साथ गहरी चिंता को प्रतिबिंबित किया, जो निस्संदेह न्याय व्यवस्था के सामने खड़े हैं।'
हालांकि, एजी वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि गोगोई ने जो कुछ भी इंटरव्यू में कहा था वह संस्थान की भलाई के लिए कहा था। इसके साथ ही उनके वे बयान किसी भी तरह से अदालत में बिखराव या जनता की नजरों में उसका सम्मान कम नहीं करेगा।
एक्टिविस्ट साकेत गोखले ने 23 फरवरी को एजी वेणुगोपाल को पत्र लिखकर पूर्व CJI और वर्तमान राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का अपमान करने और उसकी गरिमा को कम करने और अपमानित करने का प्रयास करने के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग की थी। गोखले एजी से इस साल 12 फरवरी को इंडिया टुडे समूह द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गोगोई द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू का जिक्र किया।
गोगोई द्वारा दिए गए कुछ बयानों का हवाला कुछ इस प्रकार दिया गया,
"आप 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था चाहते हैं, लेकिन आपके पास एक न्यायपालिका है।"
"यदि आप अदालत में जाने वाले हैं, तो आप केवल अदालत में अपना गंदा लिनन धो रहे होंगे, आपको वहां न्याय नहीं मिलेगा। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है।"
"केवल कॉरपोरेट लाखों रुपए लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने को तैयार रहते हैं।"
"न्यायिक प्रणाली ने एक से अधिक कारणों से काम नहीं किया है।"
"दुर्भाग्य से, ऐसे कई न्यायाधीश हैं, जो मीडिया में की गई आलोचना के शिकार हैं।"
गोखले के अनुसार, गोगोई के बयानों ने अदालत की घोर अवमानना की और शीर्ष अदालत को कमतर आंका। विशेष रूप से यह देखते हुए कि बयानों की व्याख्या किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि न्यायपालिका की सर्वोच्च संस्था पर बैठे किसी व्यक्ति ने है।
गोखले ने कॉमेडियन कुणाल कामरा और काटूर्निस्ट रचिता तनेजा के अवमानना मामलों को भी संदर्भित किया, जिसमें कहा गया था कि उन अवमानना मामलों में एजी के कार्यालय द्वारा दी गई अभियोजन सहमति ने आपकी राय में अदालत की अवमानना का एक मानक स्थापित किया है। उनकी कही बात में और अधिक अवमानना और सुप्रीम कोर्ट की गंभीर निंदा है।
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