"15 साल की लड़की के साथ छेड़छाड़ का मामला लापरवाही और असंवेदनशील तरीके से निपटाया गया": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया

Update: 2021-08-20 08:47 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 साल की लड़की के साथ छेड़छाड़ के मामले में लापरवाही और संवेदनहीनता बरतने पर पुलिस विभाग को जमकर फटकार लगाई है।

जस्टिस राजबीर सिंह की खंडपीठ ने चित्रकूट जिले के पुलिस अधीक्षक को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और एक महीने के भीतर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

अदालत आवेदक द्वारा धारा 305, 341, 376D IPC और धारा 4 POCSO अधिनियम और 3 (2) (V) SC/ST अधिनियम के तहत दर्ज आपराधिक मामले में दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट के सामने मामला

अभियोजन पक्ष के अनुसार प्रथम मुखबिर की बेटी (15 वर्षीय) नर्सरी में पड़ी मिली थी और उसके हाथ-पैर बंधे हुए थे। पीड़िता/बेटी ने अपने पिता/मुखब‌िर को बताया कि तीन लोग उसे वहां ले गए थे और मुखबिर को पता चला कि आवेदक और सह-आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया था।

आरोप था कि 8 अक्टूबर 2020 की घटना के कारण 13 अक्टूबर 2020 को पीड़िता/बेटी ने आत्महत्या कर ली।

दूसरी ओर, आवेदक के वकील ने तर्क दिया कि केस डायरी में, मृतक लड़की के बयान के ट्रांसक्रिप्शन में, जिसे कांस्टेबल ने वीडियो में दर्ज किया था, सह-आरोपी आशीष के नाम का ही उल्लेख किया गया था और लड़की ने यह भी कहा कि आरोपी व्यक्तियों ने उसे केवल बांधा था, और उसके साथ कोई बुरा काम नहीं किया गया था और वे केवल यह कह रहे थे कि वे उसके साथ बुरा काम करेंगे।

न्यायालय की टिप्पणियां

शुरुआत में, कोर्ट ने कहा कि हालांकि यह सही था कि पीड़िता के कथित बयान के ट्रांसक्रिप्शन में यह उल्लेख किया गया था कि आरोपी व्यक्तियों ने उसे केवल बांधा था, उसके साथ कोई बुरा काम नहीं किया गया था और वे बलात्कार करने की धमकी दे रहे थे। लेकिन, कोर्ट ने इस पर कहा कि पीड़िता का उक्त बयान कॉन्स्टेबलों द्वारा कानून और प्रक्रिया के अनुसार दर्ज नहीं किया गया था।

इसलिए, मुखबिर के बयान पर भरोसा करते हुए कि उसकी बेटी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि आवेदक और दो सह-आरोपियों ने उसके साथ बलात्कार किया था, अदालत ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।

इसके अलावा, मामले से निपटने में पुलिस की भूमिका के संबंध में, न्यायालय ने निम्नलिखित टिप्पणी की-

-एसआई अनिल कुमार साहू ने मौके पर जाने या मामला दर्ज करने के बजाय, कांस्टेबल रोहित कुमार और राघवेंद्र को मौके पर भेजा, जिन्होंने पीड़ित लड़की का एक वीडियो तैयार किया, जबकि उसे खोला जा रहा था।

-यह चौंकाने वाली बात है कि पुलिस ने 08.10.2020 की सूचना पर मामला दर्ज नहीं किया और मौके पर मौजूद किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की.

-पीड़ित लड़की का बयान कानून के अनुसार दर्ज नहीं किया गया था।

इसके अलावा, अदालत ने यह भी कहा कि केवल एक पुलिस कांस्टेबल द्वारा पीड़ित लड़की का कथित वीडियो तैयार करना, पीड़िता का बयान नहीं कहा जा सकता है।

कोर्ट ने आगे कहा, "यह दुखद है कि 08.10.2020 को 15 साल की बच्ची के साथ छेड़छाड़ की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने इस मामले को इतने लापरवाह और संवेदनहीन तरीके से निपटाया और नतीजा यह हुआ कि घटना के पांचवें दिन पीड़िता ने आत्महत्या कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है ।

केस का शीर्षक - किशन उपाध्याय बनाम यूपी राज्य और अन्य

ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

Tags:    

Similar News