सुप्रीम कोर्ट वीकली राउंड अप : जानिए सुप्रीम कोर्ट में कैसा रहा पिछला सप्ताह
05 अप्रैल 2021 से 09 अप्रैल 2021 तक सुप्रीम कोर्ट के कुछ ऑर्डर/जजमेंट पर एक नज़र
इतालवी मरीन के खिलाफ भारत में लंबित मामले मुआवजा जमा कराने के बाद ही बंद होंगे : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि एनरिका लेक्सी मामले में दो इतालवी मरीन के खिलाफ भारत में लंबित आपराधिक मामले इटली गणराज्य द्वारा 2012 की समुद्री गोलीबारी की घटना के पीड़ितों के लिए दिए जाने वाले मुआवजे को जमा करने के बाद ही बंद होंगे। भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि इटली गणराज्य को विदेश मंत्रालय द्वारा निर्दिष्ट खाते में अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण के अवार्ड के संदर्भ में मुआवजा राशि जमा करनी चाहिए। इटली सरकार से इस तरह की राशि प्राप्त करने के एक सप्ताह के भीतर, मंत्रालय इसे सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष समान जमा करेगा, पीठ ने आगे आदेश दिया।
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बीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी की पत्नी की उनकी जान की सुरक्षा के लिए दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित की
बसपा विधायक मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी की उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा जेल में बंद रहने और ट्रायल में शामिल होने पर अपने पति की जान की सुरक्षा और संरक्षण की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई टाल दी है। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की बेंच के समक्ष शुक्रवार को सुनवाई शुरू हुई को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से बताया गया कि इस संबंध में केस की सुनवाई टालने का आग्रह किया गया है। चूंकि राज्य के सरकारी वकीलों को बदला गया है इसलिए दो सप्ताह का समय दिया जाए। पीठ ने सहमति जताते हुए सुनवाई को स्थगित कर दिया।
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अनुच्छेद 226 और 227 के तहत हाईकोर्ट मध्यस्थता अधिनियम के तहत पारित आदेशों पर हस्तक्षेप करने में बेहद चौकस रहे : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि अनुच्छेद 226 और 227 के तहत अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए उच्च न्यायालय को मध्यस्थता और सुलह अधिनियम के तहत पारित आदेशों के साथ हस्तक्षेप करने में बेहद चौकस होना चाहिए। जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा, इस तरह का हस्तक्षेप केवल असाधारण दुर्लभ मामलों में किया जा सकता है या उन मामलों में जिनमें वर्तमान में निहित अधिकार क्षेत्र में कमी कमी हो। अदालत ने कहा कि दीप इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम ओएनजीसी व अन्य (2020) 15 SCC 706 में निर्णय के माध्यम से यह स्पष्ट करने के बावजूद उच्च न्यायालय अभी भी इस तरह के हस्तक्षेप कर रहे हैं।
मामला: नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी बनाम बैंगलोर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड [ सीए 1098-1099/ 2021]
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उच्च न्यायालयों में एडहॉक आधार पर अतिरिक्त जजों की नियुक्ति नियमित जजों के रिक्त पदों को भरने के बाद ही की जा सकती है : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संविधान के अनुच्छेद 224A के तहत उच्च न्यायालयों में एडहॉक आधार पर अतिरिक्त न्यायाधीशों की नियुक्ति न्यायाधीशों के नियमित रिक्त पदों को भरने के बाद ही की जा सकती है। सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ के समक्ष यह दलील एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया आरएस सूरी द्वारा प्रस्तुत की गई थी। पीठ ने पहले लंबित मामलों की बढ़ती संख्या की समस्या से निपटने के लिए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की एडहॉक नियुक्ति पर केंद्र से विचार मांगे थे।
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एडवोकेट जनरल को सरकार का हिस्सा माना जाता है, एजी जो सोचते हैं वही सरकार सोचती है : सीजेआई बोबडे
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने बुधवार को एक सुनवाई के दौरान कहा कि एडवोकेट जनरल को सरकार का हिस्सा माना जाता है, और एडवोकेट जनरल जो सोचते हैं वही सरकार सोचती है। रामचंद्रपुरा मठ में महाबलेश्वर मंदिर के प्रबंधन को सौंपने के सरकार के आदेश को रद्द करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका में वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी द्वारा की गई टिप्पणियों के जवाब में यह अवलोकन किया गया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश डॉ सिंघवी ने एडवोकेट जनरल की राय के आधार पर तर्क दिया।
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न्यायालय द्वारा उच्च अधिकारियों को लगातार और सामान्य तरीके से तलब करने की सराहना नहीं जा सकती : सुप्रीम कोर्ट
न्यायालय द्वारा उच्च अधिकारियों को लगातार, सामान्य तरीके से और व्यग्रता से तलब करने को सराहा नहीं जा सकता है, सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा पारित एक समन आदेश के खिलाफ यूपी सरकार द्वारा दायर एसएलपी पर बुधवार को ये कहा। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने ये कहा जब उसे सूचित किया गया कि उच्च न्यायालय ने अवमानना याचिका पर आगे बढ़ने का फैसला किया और संबंधित सरकारी अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है, भले ही मुख्य आदेश, जिसके खिलाफ अवमानना दायर की गई थी, पर शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी थी।
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अनुबंध की नवीन पद्धति के प्रश्न पर न्यायालय द्वारा मध्यस्थता अधिनियम की धारा 11 के तहत दायर याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता खंड के अनुबंध की नवीन पद्धति के प्रश्न पर न्यायालय द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 11 के तहत दायर याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है। जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने कहा, इस बात पर विस्तृत तर्क कि क्या एक समझौता जिसमें एक मध्यस्थता खंड शामिल है या उसकी नवीन पद्घति का उल्लेख नहीं किया गया है, संभवत: एक सीमित प्रथम दृष्ट्या समीक्षा की क़वायद में तय नहीं किया जा सकता है कि पक्षों के बीच एक मध्यस्थता समझौता मौजूद है या नहीं।
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एनडीपीएस अधिनियम के तहत सजा देते समय आरोपी की गरीबी सजा कम करने वाली परिस्थितियां नहीं : सुप्रीम कोर्ट
महज इसलिए कि आरोपी एक गरीब आदमी है और / या एक वाहक है और / या एकमात्र रोटी कमाने वाला है, नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक सबस्टेंस अधिनियम के मामले में सजा / कारावास देते समय अभियुक्त के पक्ष में ऐसी सजा कम करने वाली परिस्थितियां नहीं हो सकती हैं, सुप्रीम कोर्ट ने अवलोकन किया। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि इसलिए, एनडीपीएस अधिनियम के मामले में सजा हल्की करने वाली और उत्तेजक परिस्थितियों के बीच संतुलन बनाते हुए सजा / कारावास को प्रदान करते समय, समाज के हित को समग्र रूप से भी ध्यान में रखना आवश्यक है और समाज पर पूरा प्रभाव हमेशा उपयुक्त उच्च दंड के पक्ष में झुका रहेगा।
केस: गुरदेव सिंह बनाम पंजाब राज्य [सीआरए 375/ 2021 ]
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को निर्णय नहीं लेने देंगे; जजों की स्वायत्तता और विवेक को बरकरार रखा जाएगा: CJI बोबडे
सुप्रीम कोर्ट की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कमेटी ने मंगलवार को अपना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पोर्टल SUPACE (सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट एफिशिएंसी) लॉन्च किया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में CJI एसए बोबडे, आगामी CJI जस्टिस एनवी रमना और सुप्रीम कोर्ट की एआई कमेटी के चेयरमैन जस्टिस नागेश्वर राव और हाईकोर्ट के जज मौजूद थे। CJI बोबड़े ने पोर्टल को लॉन्च करते हुए कहा कि यह 'मानव बुद्घि और मशीन लर्निंग का उचित मिश्रण' है और एक 'हाइब्रिड सिस्टम' है, जो मानव बुद्धि के साथ मिलकर काम करता है। उन्होंने कहा कि यह सिस्टम अद्वितीय है, क्योंकि इसमें मानव और मशीन के बीच संवाद होता है, जो उल्लेखनीय परिणाम पैदा करता है।
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बरामद मादक पदार्थ की मात्रा एक प्रासंगिक कारक है जिसे न्यूनतम सजा से अधिक सजा के लिए ध्यान में रखा जा सकता है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि बरामद मादक पदार्थ की मात्रा एक प्रासंगिक कारक है जिसे नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, 1985 के तहत न्यूनतम सजा से अधिक सजा के लिए ध्यान में रखा जा सकता है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि अदालत के पास 10 साल से 20 साल तक की सजा / कारावास की सजा देने का व्यापक विवेक है और इस तरह की सजा / कारावास के अलावा, कोर्ट अधिनियम की धारा 32 बी (ए) से (एफ) में गणना किए गए कारकों के अलावा अन्य पर भी विचार कर सकता है जो उसे सही लगे।
केस: गुरदेव सिंह बनाम पंजाब राज्य [सीआरए 375/ 2021 ]
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हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में मेधावी महिला वकीलों पर विचार किया जाएः सुप्रीम कोर्ट महिला वकील एसोसिएशन पहुंची सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट वुमन लाॅयर एसोसिएशन (एससीडब्ल्यूएलए) ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दायर कर विभिन्न हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली मेधावी महिला वकीलों पर विचार करने के लिए निर्देश देने की मांग की है। इस आवेदन के माध्यम से एससीडब्ल्यूएलए ने मैसर्स पीएलआर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड और अन्य के मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट न्यायाधीश के पदों की रिक्तियों के मुद्दे पर विचार कर रही है।
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राष्ट्रपति ने जस्टिस एनवी रमना को भारत का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया
भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सीजेआई एसए बोबडे द्वारा की गई सिफारिश को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति एनवी रमना को भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की है। वर्तमान सीजेआई एसए बोबडे 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। CJI के रूप में जस्टिस रमना का कार्यकाल 26 अगस्त, 2022 तक होगा। 17 फरवरी, 2014 को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने से पहले न्यायमूर्ति रमना दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।
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"देश में कई दोयम स्तर के कॉलेज हैं, जो चिंताजनक, न्यायपालिका इसे ठीक करने का प्रयास कर रही है": जस्टिस रमना
देश में कई दोयम स्तर के कॉलेज हैं, यह बहुत ही चिंताजनक प्रवृत्ति है। न्यायपालिका ने इस पर ध्यान दिया है, और इसे ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है।" जस्टिस एनवी रमना ने दामोदरम संजीवय्या राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (DSNLU)के 4 थे, 5 वें, 6 वें और 7 वें दीक्षांत समारोह में यह टिप्पणी की। "हमारे पास देश में 1500 से अधिक लॉ कॉलेज और लॉ स्कूल हैं। 23 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटियों समेत इन विश्वविद्यालयों में लगभग 1.50 लाख स्नातक छात्र हैं। यह वास्तव में आश्चर्यजनक संख्या है। यह दर्शाता है कि कानूनी पेशा एक अमीर आदमी का पेशा है, इस धारणा का अंत हो रहा है, और देश के सभी क्षेत्रों से लोग अब इस व्यवसाय में प्रवेश कर रहे हैं क्योंकि अवसर और देश में कानूनी शिक्षा की उपलब्धता बढ़ रही है। लेकिन जैसा कि अक्सर होता है, "मात्रा, गुणवत्ता पर हावी है"।
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अनुच्छेद 226 के तहत दिखने वाली एक याचिका हाईकोर्ट को अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए नहीं रोकती जो अन्यथा उसके पास है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 226 के तहत दिखने वाली एक याचिका उच्च न्यायालय को अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करने के लिए नहीं रोकती जो अन्यथा एक विधान और / या संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत उसके पास है। इस मामले में, अपीलकर्ता का तर्क था कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका के माध्यम से वक्फ ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती है, क्योंकि केवल एक संशोधन के रूप में पुनरीक्षण याचिका को वक्फ अधिनियम की धारा 83 उप-धारा (9) के तहत प्राथमिकता दी जा सकती है।
केस: किरण देवी बनाम बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड [सीए 6149/ 2015]