सुप्रीम कोर्ट ने Amazon-Flipkart में CCI जांच के खिलाफ दायर याचिकाओं को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (6 जनवरी) को विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित कई रिट याचिकाओं को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया, जिसमें Amazon-Flipkart से जुड़े विक्रेताओं द्वारा कथित प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहारों की भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा की जा रही जांच को चुनौती दी गई।
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की खंडपीठ ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा दायर ट्रांसफर याचिका में यह आदेश पारित किया। खंडपीठ ने कहा कि रिट याचिकाओं में शामिल विषय वस्तु वही है, जिस पर कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा सुनवाई की जा रही है।
खंडपीठ ने आदेश दिया कि उसी विषय वस्तु के संबंध में दायर की गई कोई भी भविष्य की याचिका भी कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी CCI की ओर से पेश हुए। कुछ प्रतिवादियों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किलों को कर्नाटक हाईकोर्ट में मामलों के ट्रांसफर पर कोई आपत्ति नहीं है।
यह देखते हुए कि एकल न्यायाधीश, जिनके समक्ष याचिकाओं पर आंशिक सुनवाई हो रही है, वर्तमान में धारवाड़ पीठ में बैठे हैं, न्यायालय ने कहा कि उन्हें लंबित और साथ ही ट्रांसफर याचिकाओं की सुनवाई के लिए मुख्य पीठ में बैठने की अनुमति दी जा सकती है।
मामले की पृष्ठभूमि
CCI ने जनवरी 2020 में प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 26(1) के तहत जांच शुरू की, जो व्यापारियों के एक संघ, दिल्ली व्यापार महासंघ की शिकायत के बाद शुरू हुई। शिकायत में आरोप लगाया गया कि Amazon-Flipkart ने चुनिंदा विक्रेताओं को तरजीह दी, जिससे उनकी दृश्यता बढ़ी और दूसरों को नुकसान हुआ। संघ ने यह भी दावा किया कि ये पसंदीदा विक्रेता प्लेटफ़ॉर्म से निकटता से जुड़े हुए थे।
जून, 2021 में कर्नाटक हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने जांच को चुनौती देने वाली Amazon-Flipkart द्वारा दायर रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया।
जस्टिस पीएस दिनेश कुमार ने कहा कि प्रारंभिक चरण में जांच को रोकना नासमझी होगी। इस फैसले को बाद में हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने बरकरार रखा, जिसने कहा कि यदि कंपनियां कानून के किसी उल्लंघन में शामिल नहीं थीं, तो उन्हें जांच से बचना नहीं चाहिए। इसके बाद अगस्त, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने भी CCI की प्रारंभिक जांच में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
अगस्त, 2024 में CCI ने अपनी जांच पूरी की, जिसमें पाया गया कि Amazon-Flipkart ने चुनिंदा विक्रेताओं को तरजीह देकर और विशेष ऑनलाइन उत्पाद लॉन्च करके प्रतिस्पर्धा कानूनों का उल्लंघन किया।
Amazon-Flipkart से जुड़े विक्रेताओं ने CCI की जांच के विभिन्न पहलुओं को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट, मद्रास हाईकोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और तेलंगाना हाईकोर्ट सहित विभिन्न हाईकोर्ट्स में याचिकाएं दायर कीं।
सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही
CCI ने कार्यवाही की बहुलता और देरी को रोकने के लिए विभिन्न हाईकोर्ट्स में लंबित 24 रिट याचिकाओं को एकीकृत करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर याचिका दायर की। बाद में याचिकाओं की संख्या बढ़कर 26 हो गई।
जस्टिस अभय ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने 13 दिसंबर को इन याचिकाओं को दिल्ली हाईकोर्ट या कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ को ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि CCI कर्नाटक हाईकोर्ट के नियमों को दरकिनार नहीं कर सकता, जिसके अनुसार ऐसे मामलों की सुनवाई पहले एकल जज द्वारा की जानी चाहिए। न्यायालय ने मामलों को दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने के प्रति अपनी अनिच्छा भी व्यक्त की।
न्यायालय ने भारत के अटॉर्नी जनरल (एजीआई), आर. वेंकटरमणी को निर्देश दिया कि वे इस बारे में निर्देश लें कि क्या CCI सभी मामलों को कर्नाटक हाईकोर्ट की एकल न्यायाधीश पीठ में ट्रांसफर करने के लिए सहमत है, जहां कुछ याचिकाओं पर पहले से ही सुनवाई हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर, 2024 को संकेत दिया कि वह सभी रिट याचिकाओं को कर्नाटक हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर सकता है। न्यायालय ने 6 जनवरी, 2025 को वापसी योग्य नोटिस जारी किए। इस बीच कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाओं पर कार्यवाही पर रोक लगा दी।
एजीआई ने न्यायालय को सूचित किया कि CCI को कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा मामलों की सुनवाई किए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते कि एकरूपता हो और सुनवाई के लिए समयसीमा हो। न्यायालय ने CCI को आवश्यक पक्ष जोड़ने की अनुमति दी और उसे दो दिनों के भीतर संशोधित कारण शीर्षक दाखिल करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल- भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग बनाम क्लाउडटेल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड