कैदियों की रिहाई में देरी से बचने के लिए ज़मानतदारों के डिजिटल सत्यापन की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा

Update: 2025-09-03 06:16 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत प्राप्त कैदियों की रिहाई में देरी से बचने के लिए ज़मानतदारों के सत्यापन हेतु डिजिटल तकनीक का उपयोग करने के लिए पुलिस अधिकारियों को निर्देश देने की मांग वाली रिट याचिका पर नोटिस जारी किया।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने इस मामले में नोटिस जारी किया। खंडपीठ ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) को भी उसके सदस्य सचिव के माध्यम से पक्षकार बनाया।

याचिकाकर्ता सीनियर सिटीजन हैं, जो पिछले 23 वर्षों से इटली में बसे हुए हैं। उन्हें जनवरी में दिल्ली घरेलू हवाई अड्डे पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 39/49/51 के तहत इस आरोप में गिरफ्तार किया गया कि वह इटली से लगभग 20 यूरो मूल्य का एक "हिरण का सींग" ले जा रहे थे। केरल से दिल्ली आए उनके ज़मानतों के सत्यापन में देरी के कारण याचिकाकर्ता को ज़मानत मिलने के बाद आठ दिन और जेल में बिताने पड़े।

याचिकाकर्ता की मुख्य शिकायत ज़मानत की तामील, ज़मानत का सत्यापन और आपराधिक/ज़मानत मामलों में मामलों की सूची बनाने में तकनीकी प्रगति का अभाव है।

याचिका में बताया गया:

"अगर ज़मानत मिल जाती है तो ज़मानत का निष्पादन करवाना काफ़ी चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि अक्सर ज़मानतदार को दूर-दराज़ के इलाकों से आना पड़ता है। पुलिस को सत्यापन के लिए इन इलाकों में जाना पड़ता है। आमतौर पर ज़मानत के निष्पादन और सत्यापन में लगने वाले समय के कारण अभियुक्त ज़मानत मिलने के बाद भी पूरी तरह जेल में ही रहेगा। ज़्यादातर अदालतें केवल अभियुक्त के परिचित ज़मानतदारों को ही स्वीकार करती हैं।"

याचिकाकर्ता केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग करता है कि "आज की पीढ़ी, जो अक्सर पूरे भारत और विदेशों में यात्रा करती है, उसकी प्राकृतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए ज़मानत के निष्पादन और सत्यापन में विज्ञान और तकनीक का उपयोग करके तुरंत कदम उठाएं।"

इसके अलावा, याचिकाकर्ता कुछ व्यक्तिगत राहतें भी चाहता है, जैसे उसका पासपोर्ट वापस करना, ज़मानत की उन शर्तों में संशोधन जो उसे विदेश यात्रा करने से रोकती हैं और तिहाड़ जेल में कथित दुर्व्यवहार की जांच।

अब इस मामले की सुनवाई 15 सितंबर को होगी।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील विल्स मैथ्यूज़ पेश हुए।

Case Details : ROCKY ABRAHAM Petitioner(s) VERSUS UNION OF INDIA & ORS.

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