सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग लड़की से बलात्कार के दोषी कैथोलिक पादरी की सज़ा निलंबित की

Update: 2025-09-18 04:24 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने रोमन कैथोलिक चर्च के पादरी फादर एडविन पिगारेज़ की आजीवन कारावास की सज़ा निलंबित की, जिन्हें एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के लिए दोषी ठहराया गया था।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने अपीलकर्ता की सज़ा निलंबित करते हुए हाईकोर्ट द्वारा दोषसिद्धि के आदेश के विरुद्ध उनकी अपीलों के लंबित रहने तक ज़मानत दी।

फरवरी, 2024 में केरल हाईकोर्ट ने पादरी की अपने ही पल्ली में नाबालिग लड़की के साथ बार-बार बलात्कार और यौन उत्पीड़न के लिए दोषसिद्धि बरकरार रखी। हालांकि, स्पेशल कोर्ट द्वारा उसे दी गई सज़ा को उसके शेष प्राकृतिक जीवनकाल के लिए आजीवन कारावास से घटाकर बिना किसी छूट के बीस वर्ष के कठोर कारावास में बदल दिया।

भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 376(2)(i) और (n) का हवाला देते हुए अदालत ने कहा कि उक्त अपराध के लिए आजीवन कारावास तक की सज़ा दी जा सकती है, लेकिन न्यूनतम सज़ा 10 वर्ष है।

सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सज़ा निलंबित करते हुए कहा कि अपीलकर्ता पहले ही लगभग 10 साल की कैद काट चुका है।

खंडपीठ ने तर्क दिया,

"अगर यह अदालत हाईकोर्ट द्वारा दी गई 20 साल की सज़ा स्वीकार भी कर ले तो भी आवेदक/अपीलकर्ता ने आधी सज़ा काट ली है।"

इसी बात को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने पिगरेज़ की सज़ा निलंबित कर दी और उसे तब तक ज़मानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जब तक उसकी अपीलें सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।

खंडपीठ ने आगे कहा,

"हम अपील(ओं) के लंबित रहने तक आवेदक/अपीलकर्ता की सज़ा निलंबित करने के पक्ष में हैं। अपीलकर्ता को सत्र वाद संख्या 203/2016 के संबंध में ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों पर ज़मानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।"

Case Details : Fr Edwin Pigarez V State Of Kerala| CRL.A NO. 1321 OF 2016, CRL.A NO. 160 OF 2017

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