स्कूल ग्राउंड में जारी रहेगा रामलीला उत्सव, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

Update: 2025-09-25 07:11 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई, जिसमें उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद स्थित एक स्कूल ग्राउंड में चल रहे रामलीला समारोह पर रोक लगा दी गई थी।

यह देखते हुए कि उत्सव शुरू हो चुका है, कोर्ट ने फ़िरोज़ाबाद के टूंडला स्थित जिला परिषद विद्यालय के खेल के मैदान में रामलीला समारोह जारी रखने की अनुमति इस शर्त पर दी कि स्टूडेंट को कोई असुविधा न हो।

यह देखते हुए कि उक्त मैदान का उपयोग लगभग 100 वर्षों से उत्सवों के लिए किया जाता रहा है, कोर्ट ने हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि वह ज़िला प्रशासन पर रामलीला समारोह के लिए कोई वैकल्पिक स्थल चिन्हित करके इस मुद्दे को सुलझाने का दबाव डाले ताकि स्कूल का खेल का मैदान केवल छात्रों के लिए ही इस्तेमाल किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों की बात सुनी जाए।

इन टिप्पणियों के साथ कोर्ट ने 'श्री नगर रामलीला महोत्सव' द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका का निपटारा कर दिया।

जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई की। हाईकोर्ट ने यह आदेश एक याचिकाकर्ता द्वारा दायर याचिका पर पारित किया, जिसमें तर्क दिया गया कि रामलीला समारोह के कारण छात्र मैदान का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।

महोत्सव के आयोजक ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उन्हें हाईकोर्ट में दायर याचिका में न तो पक्षकार बनाया गया और न ही स्थगन आदेश पारित करने से पहले उनका पक्ष सुना गया।

सुनवाई के दौरान, पीठ ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले पक्षकार से पूछा कि यदि यह समारोह पिछले कई वर्षों से उसी स्थान पर आयोजित हो रहा था तो उन्होंने इसके आयोजन को चुनौती क्यों दी?

जस्टिस कांत ने पूछा,

"ऐसा क्या हुआ कि आप अचानक हाईकोर्ट चले गए? यदि यह रामलीला पिछले 100 वर्षों से आयोजित हो रही है...आपने यह भी स्वीकार किया... तो आपको पहले से जाकर प्रशासन से व्यवस्था करने के लिए कहने से किसने रोका? आप न तो छात्र हैं और न ही छात्र के अभिभावक...आप संपत्ति के मालिक नहीं हैं...आप जनहित याचिका दायर कर सकते थे, लेकिन आपको किसने रोका?"

जस्टिस कांत ने यह भी कहा कि कोर्ट स्कूल के मैदान के उपयोग को मंजूरी नहीं दे रहा है।

Case Title: SHREE NAGAR RAM LILA MAHOTSAV v. STATE OF UTTAR PRADESH AND ORS, Diary No.55261/2025

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