सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के खिलाफ पटना हाईकोर्ट द्वारा एक अन्य पार्टी की जमानत याचिका में दिए गए निर्देशों को खारिज किया

Update: 2022-07-14 09:03 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पटना हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश को प्रोमोद कुमार सैनी और अन्य आरोपी द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका में खारिज कर दिया, जिसमें जमानत की कार्यवाही के लिए एक तीसरे पक्ष सहारा इंडिया समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को तलब किया गया था और उनसे निवेश वापस करने की योजना मांगी गई थी।

जस्टिस एएम खानविलकर और ज‌स्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा,

"मौजूदा मामले में हमने देखा है कि हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने के लिए आवेदन को लंबित रखा और तीसरे पक्ष को अदालत में पेश होने के निर्देश जारी करने सहित निर्देश जारी किए। हमारी राय में यह अस्वीकार्य है और इसका समर्थन नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट उस संबंध में स्पष्ट रूप से अधिकार क्षेत्र से बाहर है। तदनुसार, हाईकोर्ट के समक्ष आवेदक के मामले से असंबंधित मामलों के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा की गई सभी टिप्पणियों या टिप्पणियों को कानून के रिकॉर्ड से मिटा दिया जाना चाहिए।"

खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जब धारा 438 सीआरपीसी के तहत कोर्ट के समक्ष अग्रिम जमानत की अर्जी दी जाती है, उसे बिना किसी और जांच के, विशेष रूप से तीसरे पक्ष के संबंध में, आवेदक के खिलाफ पहले से पंजीकृत अपराध के संबंध में उसी के विचार तक सीमित होना चाहिए।

कोर्ट ने यह नोट किया -

"इस तरह की कार्यवाही में, हमें कोई संदेह नहीं है कि जांच संबंधित आवेदन से संबंधित तथ्यों तक सीमित होनी चाहिए जो अदालत के सामने आए हैं और तीसरे पक्ष से संबंधित मामलों की जांच करने का कोई प्रयास नहीं करना चाहिए।"

प‌िछली सुनवाई में पीठ के सामने स्टेट काउंसल ने यह तर्क देते हुए आक्षेपित आदेशों का जोरदार बचाव किया था कि हाईकोर्ट राज्य में आर्थिक अपराधों की बड़ी तस्वीर देख रहा है। खंडपीठ ने इस तरह के तर्क को स्वीकार करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया क्योंकि यह अग्रिम जमानत आवेदनों के दायरे से परे न्यायालयों की जांच की अनुमति देने के लिए एक बुरी मिसाल कायम करेगा।

यह स्पष्ट करते हुए कि हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 438 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए किसी असंबंधित तीसरे पक्ष (रॉय) को जमानत की कार्यवाही में नहीं फंसा सकता है। खंडपीठ ने आक्षेपित आदेशों को रद्द कर दिया।

[केस टाइटल: सुब्रत रॉय सहारा बनाम प्रमोद कुमार सैनी और अन्य। Ors. SLP (Crl) No. 4877-78 of 2022]

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