सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में मेडिकल आधार पर अनवर ढेबर को दी गई जमानत खारिज की

Update: 2024-11-30 04:43 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (29 नवंबर) को छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामले में रायपुर के मेयर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर को दी गई जमानत खारिज की। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर जमानत दी थी।

जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ छत्तीसगढ़ राज्य की याचिका पर मेडिकल बोर्ड की राय पर गौर किया कि ढेबर की हालत स्थिर है और उन्हें कोई गंभीर चिकित्सा बीमारी नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को मेडिकल जमानत पर विचार करने से पहले मेडिकल बोर्ड द्वारा ढेबर की मेडिकल स्थिति की जांच करानी चाहिए थी।

कोर्ट ने कहा,

“मेडिकल बोर्ड में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, जनरल सर्जरी विभाग के डॉक्टर शामिल थे। उन्होंने कहा कि उस दिन तक विवादित आदेश के पैराग्राफ 7 में उल्लिखित मेडिकल स्थिति का कोई सबूत नहीं है। वास्तव में मेडिकल बोर्ड ने दर्ज किया कि प्रतिवादी की हालत स्थिर है और उसे कोई गंभीर बीमारी नहीं है। मेडिकल आधार पर जमानत देने के मामले पर विचार करने से पहले हाईकोर्ट को प्रतिवादी की किसी सार्वजनिक अस्पताल के मेडिकल बोर्ड से जांच करवानी चाहिए।”

यह देखते हुए कि जमानत मेडिकल आधार पर दी गई, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि ढेबर की जांच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), रायपुर के मेडिकल बोर्ड द्वारा की जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हालांकि हाईकोर्ट के समक्ष गुण-दोष पर तर्क दिए गए, लेकिन आरोपित आदेश मुख्य रूप से मेडिकल आधार पर जमानत देने का था और इसे बरकरार नहीं रखा जा सकता।

न्यायालय ने कहा,

“हालांकि प्रतिवादी के सीनियर वकील ने तर्क दिया कि जमानत न केवल मेडिकल आधार पर बल्कि गुण-दोष के आधार पर भी दी गई और वास्तव में प्रस्तुतियां गुण-दोष के आधार पर दी गईं। आरोपित आदेश में दर्ज प्रस्तुतियों के मद्देनजर उनके द्वारा कही गई बातों का दूसरा भाग सही प्रतीत होता है। लेकिन हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि जमानत गुण-दोष के आधार पर भी दी गई। मेडिकल आधार पर दी गई जमानत बरकरार नहीं रखी जा सकती। हालांकि, गुण-दोष के आधार पर नियमित जमानत दिए जाने के प्रतिवादी के मामले पर विचार करना होगा।”

सुप्रीम कोर्ट ने नियमित जमानत के लिए याचिका (एमसीआरसी नंबर 3455/2024) को हाईकोर्ट की फाइल में बहाल कर दिया। इसे 6 दिसंबर, 2024 को उपयुक्त पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। मामले के पक्षकारों को उस दिन हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित होना आवश्यक है। हाईकोर्ट को जमानत अर्जी के लिए शीघ्र सुनवाई की तिथि तय करने का निर्देश दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ढेबर को उनके खिलाफ PMLA मामले में जमानत मिल जाती है तो वे भ्रष्टाचार मामले में हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत मांग सकते हैं। मामले के गुण-दोष के संबंध में पक्षों की सभी दलीलों को हाईकोर्ट ने विचार के लिए खुला छोड़ दिया।

केस टाइटल- छत्तीसगढ़ राज्य बनाम अनवर ढेबर

Tags:    

Similar News