'सीनियर गाउन के कारण किसी को बेहतर ट्रीटमेंट नहीं मिलता': सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर डेजिग्नेशन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

Update: 2025-02-07 07:10 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट मैथ्यूज जे नेदुम्परा द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के 70 एडवोकेट को सीनियर डेजिग्नेशन देने के फैसले को चुनौती दी गई।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।

इससे पहले, न्यायालय ने याचिकाकर्ता को यह आरोप लगाने के लिए फटकार लगाई कि भाई-भतीजावाद के आधार पर सीनियर डेजिग्नेशन दिए जाते हैं। चेतावनी दी गई कि अगर याचिका से उन कथनों को नहीं हटाया गया तो उसके खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी।

जस्टिस गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में किसी भी वकील को सिर्फ इसलिए तरजीह नहीं मिलती, क्योंकि उसके पास सीनियर गाउन है।

जस्टिस गवई ने कहा,

"हमें नहीं लगता कि इस न्यायालय में किसी को बेहतर ट्रीटमेंट मिलता है, क्योंकि उसके पास अलग गाउन है।"

नेदुम्परा ने हालांकि कहा कि वकीलों, खासकर जूनियर वकीलों के बीच यह धारणा नहीं है।

नेदुम्परा ने कहा,

"मेरे वकील मित्र न्यायालय से डरते हैं।"

जस्टिस गवई ने कहा,

"वकीलों को निडर होना चाहिए।"

बिना किसी और चर्चा के जस्टिस गवई ने कहा कि याचिका खारिज कर दी गई।

जस्टिस गवई ने कहा,

"बेहतर होगा कि आप संसद में चुने जाएं और इसे (सीनियर एडवोकेट के संबंध में एडवोकेट एक्ट में प्रावधान) हटवाएं..."

नेदुम्परा ने कहा,

"मैं इस पर आगे बढ़ूंगा।"

पिछले सप्ताह न्यायालय ने दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर डेजिग्नेशन को चुनौती देने वाली अन्य याचिका खारिज कर दी थी। 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मैथ्यूज नेदुम्परा द्वारा एडवोकेट एक्ट की धारा 16 - जो एडवोकेट को सीनियर एडवोकेट के रूप में वर्गीकृत करती है - और धारा 23(5), जो सीनियर एडवोकेट को पूर्व-श्रोता का अधिकार देती है, उसकी संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक पूर्व रिट याचिका खारिज कर दी थी।

केस टाइटल: मैथ्यूज जे. नेदुम्परा और अन्य बनाम दिल्ली हाईकोर्ट के माननीय जजों का फुल कोर्ट एवं अन्य, डायरी नंबर 60205-2024

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