सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला वकील की याचिका पर जारी किया नोटिस

Update: 2025-06-07 06:16 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने महिला वकील की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि जब वह अपने मुवक्किल के साथ वैवाहिक मामले के सिलसिले में गुरुग्राम पुलिस थाने गई तो वहां के अधिकारियों ने उसका यौन उत्पीड़न किया और उसके साथ मारपीट की।

जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने सीनियर एडवोकेट प्रिया हिंगोरानी (याचिकाकर्ता-महिला वकील की ओर से) की दलील सुनने के बाद यह आदेश पारित किया।

हरियाणा राज्य, हरियाणा पुलिस और संबंधित पुलिस थाने के राज्य गृह अधिकारी प्रतिवादी हैं, जिन्हें नोटिस जारी किया गया।

पिछली तारीख पर कोर्ट ने हिंगोरानी से याचिकाकर्ता के खिलाफ गुरुग्राम पुलिस अधिकारियों द्वारा दर्ज की गई FIR की कॉपी पेश करने को कहा था। सीनियर एडवोकेट ने शुक्रवार को उक्त FIR पेश की।

इस पर गौर करते हुए जस्टिस मिश्रा ने टिप्पणी की,

"आप (याचिकाकर्ता) पुलिस स्टेशन क्यों गए? [ऐसा] तब होता है जब वकील पुलिस स्टेशन जाता है...वकील को न्यायालय तक ही सीमित रहना चाहिए!"

जवाब में हिंगोरानी ने उन परिस्थितियों के बारे में बताया जिसके तहत याचिकाकर्ता अपने मुवक्किल के साथ गुरुग्राम पुलिस स्टेशन गई थी।

उन्होंने आग्रह किया,

"चिंता की बात यह है कि थाने में पुलिस अधिकारियों का व्यवहार कैसा था।"

इसके अलावा, सीनियर वकील ने जोर देकर कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज की गई FIR की सामग्री बिल्कुल गलत और "अविश्वसनीय" है।

उन्होंने कहा,

"पुलिस स्टेशन में महिला वकील पुलिस अधिकारी पर हमला कर रही है, यह बिल्कुल अविश्वसनीय है!"

"अविश्वसनीय" शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए जस्टिस मसीह ने टिप्पणी की,

"आपने जो शब्द इस्तेमाल किया...'अविश्वसनीय'...गलत है...ऐसा नहीं हुआ होगा, यह एक अलग पहलू है। अब चीजें पूरी तरह बदल गई हैं। यह इतना आसान नहीं है"।

इसके बाद हिंगोरानी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता द्वारा दिल्ली में दर्ज जीरो FIR को उसी पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया, जहां कथित घटना हुई थी। "वही पुलिस स्टेशन/अधिकारी जो वहां हैं, वे उस मामले की जांच करने जा रहे हैं, जहां मैंने उनके खिलाफ शिकायत की है! यह संभव नहीं है।"

कोर्ट के सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता हरियाणा से बाहर किसी स्वतंत्र एजेंसी या दिल्ली/उत्तर प्रदेश पुलिस को मामले ट्रांसफर करने की मांग कर रहा है। आखिरकार, बेंच ने नोटिस जारी किया।

जस्टिस मिश्रा ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि कोर्ट केवल इसलिए हस्तक्षेप नहीं कर सकता, क्योंकि याचिकाकर्ता एक वकील है। इस पर हिंगोरानी ने कहा कि वह इस आधार पर कोई रियायत नहीं मांग रही हैं।

उन्होंने कहा,

"मैं एक महिला की बात कर रही हूं, जो अपने मुवक्किल के हितों की रक्षा के लिए गई। मैंने वकील शब्द का इस्तेमाल नहीं किया और मैं इस आधार पर कोई रियायत नहीं मांग रही हूं।"

हालांकि याचिकाकर्ता के खिलाफ बलपूर्वक कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश के लिए प्रार्थना की गई, लेकिन कोर्ट ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया।

जस्टिस मिश्रा ने सवाल किया,

"आप अग्रिम जमानत के लिए आवेदन क्यों नहीं कर सकते?"

Case Title: AS v. STATE OF HARYANA, W.P.(Crl.) No. 235/2025

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