पतंजलि फूड्स की 2.97 करोड़ रुपये की एक्साइज ड्यूटी वापसी अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में पतंजलि फूड्स लिमिटेड (पूर्व में रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड) द्वारा दायर अपील पर नोटिस जारी किया, जिसमें एक्साइज ड्यूटी विवाद के संबंध में कर विभाग द्वारा वसूले गए 2.97 करोड़ रुपये की वापसी की मांग की गई।
जस्टिस पमिदिघंतम श्री नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की खंडपीठ ने मुख्य अपील और विलंब क्षमा याचिका दोनों पर नोटिस जारी किया।
यह अपील कर्नाटक हाईकोर्ट के 30 सितंबर, 2024 के फैसले और उसके बाद 4 जुलाई, 2025 के आदेश को चुनौती देती है, जिसमें पतंजलि की समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया गया।
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर आयुक्त, मंगलुरु ने नवंबर 2012 में 2009 और 2011 के बीच "आरबीडी पाम स्टीयरिन" के निर्माण और निकासी पर 8.06 करोड़ रुपये की मांग उठाई।
इस राशि में से रुचि सोया द्वारा 2.97 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका था, जबकि शेष 5.09 करोड़ रुपये का भुगतान कस्टम, एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्ट अपीलीय ट्रिब्यूनल (CESTAT) के समक्ष किया गया।
अपील के लंबित रहने के दौरान, रुचि सोया के खिलाफ दिवालियेपन की कार्यवाही शुरू की गई। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLAT), मुंबई ने जुलाई 2019 में दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत समाधान योजना को मंजूरी दी। पतंजलि, जिसने बाद में कंपनी का अधिग्रहण कर लिया, उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि कर विभाग ने कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) के दौरान कोई दावा दायर नहीं किया, इसलिए एक्साइज ड्यूटी की मांग समाप्त हो गई और पहले भुगतान की गई राशि भी वापस की जानी चाहिए।
ट्रिब्यूनल ने पतंजलि को कोई राहत देने से इनकार किया लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस दलील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया। उसने माना कि 5.09 करोड़ रुपये की दावा न की गई राशि IBC के तहत समाप्त हो गई लेकिन विभाग द्वारा पहले ही हड़पे गए 2.97 करोड़ रुपये की वापसी का निर्देश देने से इनकार किया।
खंडपीठ ने कहा कि चूंकि 5.09 करोड़ रुपये का दावा समाधान पेशेवर के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए यह समाप्त हो गया। साथ ही स्पष्ट किया कि पतंजलि दिवालिया होने से पहले विभाग द्वारा हड़पी गई राशि की वापसी मांगने का हकदार नहीं है।
इसके बाद पतंजलि ने पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसमें तर्क दिया गया कि हाईकोर्ट को वापसी का आदेश देना चाहिए था और ब्याज व जुर्माने की समाप्ति को भी स्पष्ट करना चाहिए था।
4 जुलाई, 2025 को जस्टिस एस जी पंडित और जस्टिस सी एम पूनाचा की उसी खंडपीठ ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह "मुख्य अपील पर उसके गुण-दोष के आधार पर पुनर्विचार करने का एक प्रयास" था, जो समीक्षा के दायरे से बाहर है।
अदालत ने ब्याज और जुर्माने पर तर्क को भी "गलत" करार दिया और कहा कि ऐसी कोई मांग नहीं उठाई गई।
Case Title: Patanjali Foods Ltd. v. Commissioner of Central Excise and Service Tax