सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया
सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट में हाइब्रिड सुनवाई की मांग करने वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिससे पक्षकारों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए मुकदमेबाजी की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके।
याचिका पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा ने सुनवाई की। याचिका ए़डवोकेट किशन चैन जैन ने दायर की।
जनहित याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि फैमिली कोर्ट में 11 लाख मामले लंबित हैं और हाइब्रिड या वर्चुअल सुनवाई की अनुपस्थिति केवल वादियों की भावनात्मक और वित्तीय बाधाओं को बढ़ाती है, खासकर हिरासत, भरण-पोषण, तलाक के मामलों में, जिसका बच्चों और महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
याचिका में कहा गया,
"फैमिली कोर्ट में लंबित 11 लाख से अधिक मामलों के लंबित होने से न्याय में काफी देरी हो रही है, खासकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों जैसे कमजोर समूहों के लिए।"
याचिका में कहा गया कि सुनवाई के हाइब्रिड रूप को शुरू करने से पक्षकारों के लिए आने-जाने और अदालती सुनवाई में भाग लेने के लिए खर्च करने वाली रसद और भौगोलिक चुनौतियों पर लगाम लगेगी।
याचिकाकर्ता द्वारा निम्नलिखित राहतें मांगी गई:
i) फैमिली कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम, ई-फाइलिंग पोर्टल और ऑनलाइन केस मैनेजमेंट सिस्टम सहित आवश्यक डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना।
ii) फैमिली कोर्ट में वर्चुअल सुनवाई सुविधाओं के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक निगरानी तंत्र का निर्माण करना।
iii) फैमिली कोर्ट के मामलों को ट्रैक करने और वर्गीकृत करने के लिए केंद्रीकृत रिपोर्टिंग प्रणाली, लक्षित सुधारों को सक्षम करना।
v) समय पर न्याय सुनिश्चित करने और फैमिली कोर्ट में लंबित मामलों को कम करने के लिए इस माननीय न्यायालय द्वारा उचित समझे जाने वाले कोई अन्य निर्देश।
केस टाइटल: किशन चंद जैन बनाम भारत संघ और अन्य। डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 667/2024