सुप्रीम कोर्ट ने डबल वोटर लिस्ट सूची स्पष्टीकरण पर स्थगन के खिलाफ उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग की याचिका खारिज की, 2 लाख का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग की याचिका खारिज की, जिसमें हाईकोर्ट ने उसके स्पष्टीकरण सर्कुलर पर रोक लगाईस जिसमें कई मतदाता सूचियों में नाम वाले उम्मीदवारों को पंचायत चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया और राज्य निर्वाचन आयोग पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
जस्टिस नाथ ने राज्य निर्वाचन आयोग के वकील से पूछा,
"आप वैधानिक प्रावधान के विपरीत निर्णय कैसे दे सकते हैं?"
संक्षेप में मामला
हाईकोर्ट ने प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा दायर याचिका में यह आदेश पारित किया, जिसमें कई ऐसे उदाहरणों पर प्रकाश डाला गया, जहां कई मतदाता सूचियों में नाम वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जा रही थी।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी स्पष्टीकरण में कहा गया:
"किसी उम्मीदवार का नामांकन पत्र केवल इस आधार पर खारिज नहीं किया जाएगा कि उसका नाम एक से अधिक ग्राम पंचायत/प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों/नगरपालिका की मतदाता सूची में शामिल है।"
प्रस्तुत सामग्री का अवलोकन करते हुए हाईकोर्ट का प्रथम दृष्टया यह मत है कि राज्य निर्वाचन आयोग का स्पष्टीकरण उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम, 2016 का उल्लंघन है। न्यायालय ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग का स्पष्टीकरण प्रथम दृष्टया अधिनियम की धारा 9(6) और (7) के विरुद्ध प्रतीत होता है।
हाईकोर्ट ने कहा,
"जब विधान स्पष्ट रूप से एक से अधिक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों या एक से अधिक मतदाता सूची में किसी मतदाता के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाता है। यह एक वैधानिक प्रतिबंध है तो राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा अब दिया गया स्पष्टीकरण धारा 9 की उप-धारा (6) और उप-धारा (7) के तहत प्रतिबंध के विरुद्ध प्रतीत होता है।"
इस प्रकार, स्पष्टीकरण पर इस निर्देश के साथ रोक लगा दी गई कि इस पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। इससे व्यथित होकर राज्य निर्वाचन आयोग ने वर्तमान याचिका दायर की।
Case Title: STATE ELECTION COMMISSION Versus SHAKTI SINGH BHARTHWAL AND ANR., Diary No. 41232-2025