सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट / कम्पार्टमेंट / पत्राचार छात्रों के लिए कक्षा 12 सीबीएसई परीक्षाएं रद्द करने के आदेश पर दायर पुनर्विचार याचिका खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें प्राइवेट / कम्पार्टमेंट / पत्राचार छात्रों के लिए प्रस्तावित कक्षा 12 सीबीएसई परीक्षाओं को रद्द करने के 22 जून के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। इस आदेश में सीबीएसई के नियमित कक्षा 12 परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले और बोर्ड के यथार्थपरक मूल्यांकन योजना को मंजूरी दी गई थी।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने यह कहते हुए एक आदेश दिया कि पुनर्विचार करने के लिए कोई मामला नहीं बनाया गया और तदनुसार इसे खारिज किया जाता है।
अधिवक्ता ममता शर्मा द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में सीबीएसई द्वारा अधिसूचित 17 जून के नीतिगत निर्णय के खंड 29 (Clause 29) को रद्द करने के साथ-साथ निजी, पत्राचार और कम्पार्टमेंट के छात्रों के परिणाम जुलाई तक वस्तुनिष्ठ पद्धति के आधार पर 31 जुलाई तक परिणाम घोषित करने के निर्देश की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि 22 जून के आदेश पर पुनर्विचार केवल उस सीमा तक मांगा गया, जो सीबीएसई कंपार्टमेंट / निजी / पत्रचर छात्रों से संबंधित है।
इसके अलावा, आवेदकों के लिए कानून और तथ्यों के महत्वपूर्ण प्रश्नों पर प्रस्तुतियां देने के लिए खुली अदालत में सुनवाई की मांग की गई थी, जिन्हें पहले न्यायालय के समक्ष नहीं लाया जा सकता था।
याचिकाकर्ता के अनुसार, आदेश पर पुनर्विचार की मांग इसलिए की गई ताकि आगामी शैक्षणिक सत्र में भारत और विदेशों में आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश पाने में छात्रों के लिए कोई पूर्वाग्रह न हो।
याचिकाकर्ता के अनुसार, इस श्रेणी के छात्रों ने पहले ही शिक्षा का एक कीमती वर्ष खो दिया है और अब सीबीएसई की "भेदभावपूर्ण नीति" और खंड 29 के कारण, उन्हें शिक्षा का एक और वर्ष गंवाने के लिए मजबूर होना होगा।
याचिका में कहा गया था कि इन छात्रों की परीक्षा हर साल नियमित छात्रों के साथ आयोजित की जाती थी और परिणाम भी एक साथ घोषित किए जाते थे। इसके अलावा, कक्षा 12वीं वीं के पत्राचार के छात्र एक अलग श्रेणी के हैं और रिपीटर्स या कम्पार्टमेंट के छात्र नहीं हैं।
22 जून को अपने आदेश के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने नियमित कक्षा 12 के लिए सीबीएसई की वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन योजना को मंजूरी दी थी।