BREAKING| बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को दशहरा उत्सव में आमंत्रित करने का फैसला बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने 'तीन बार' खारिज की याचिका

Update: 2025-09-19 08:38 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की, जिसमें मैसूर के चामुंडी मंदिर में दशहरा उत्सव के उद्घाटन समारोह में बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दी गई थी।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद मामला खारिज कर दिया।

याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट पीबी सुरेश ने दलील दी कि किसी गैर-हिंदू व्यक्ति को पूजा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

जस्टिस नाथ ने तब "खारिज" कहा।

एडवोकेट सुरेश ने तब दलील दी कि मंदिर के अंदर पूजा को धर्मनिरपेक्ष कार्य नहीं माना जा सकता।

उन्होंने कहा,

"यह पूरी तरह से राजनीतिक है... कोई कारण नहीं है कि उन्हें धार्मिक गतिविधि के लिए मंदिर के अंदर लाया जाए..."।

जस्टिस नाथ ने फिर दोहराया,

"खारिज।"

सीनियर वकील ने बिना किसी हिचकिचाहट के आरोप लगाया कि आमंत्रित व्यक्ति ने अतीत में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं और कहा कि ऐसे व्यक्ति को आमंत्रित नहीं किया जा सकता।

जस्टिस नाथ ने दोहराया कि मामला खारिज कर दिया गया।

जस्टिस नाथ ने टिप्पणी की,

"हमने तीन बार 'खारिज' कहा है। कितनी बार खारिज करने की ज़रूरत है?"

मामले को गुरुवार को यह बताते हुए तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था कि यह कार्यक्रम 22 सितंबर को निर्धारित है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इसे आज (शुक्रवार) सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।

संक्षेप में मामला

15 सितंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने के राज्य के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। मुश्ताक की कन्नड़ भाषा में प्रकाशित पुस्तक "हार्ट लैंप" को मई में अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता था।

Case Title: H.S. GAURAV Versus THE STATE OF KARNATAKA AND ORS., SLP(C) No. 26999/2025

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