सुप्रीम कोर्ट ने मस्तिष्क को नियंत्रित करने वाली 'मशीन' को निष्क्रिय करने की व्यक्ति की याचिका खारिज की

Update: 2024-11-12 03:36 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका खारिज की, जिसने आरोप लगाया कि उसके मस्तिष्क को मशीन के माध्यम से अन्य व्यक्ति नियंत्रित कर रहे हैं।

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने याचिका को विचित्र करार देते हुए इसे खारिज करते हुए कहा,

"हमें इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश या कारण नहीं दिखता।"

याचिकाकर्ता ने शुरू में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी, जिसमें दावा किया गया कि कुछ व्यक्तियों ने सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैब (CFSL), हैदराबाद से "मानव मस्तिष्क पढ़ने वाली मशीनरी" प्राप्त की थी। याचिकाकर्ता पर इसका इस्तेमाल किया। उन्होंने मशीन को निष्क्रिय करने के निर्देश मांगे।

CBI की CFSL ने हाईकोर्ट में जवाबी हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता, जो शिक्षक है, पर कभी भी कोई फोरेंसिक जांच नहीं की गई। इसलिए याचिकाकर्ता पर इस्तेमाल की गई कथित मशीन को निष्क्रिय करने का सवाल ही नहीं उठता। इसे देखते हुए नवंबर 2022 में हाईकोर्ट ने याचिका खारिज की, जिसमें याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से पक्षकार के रूप में पेश हुआ था।

हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। 27 सितंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर आश्चर्य व्यक्त किया। हालांकि, इसे सीधे खारिज करने के बजाय न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति को याचिकाकर्ता के साथ उसकी मातृभाषा में बातचीत की व्यवस्था करने का निर्देश दिया, जिससे उसकी वास्तविक शिकायतों को समझा जा सके।

याचिकाकर्ता के साथ बातचीत करने के बाद SCLSC ने सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि याचिकाकर्ता कथित उपकरण को निष्क्रिय करना चाहता है, जो उसके मस्तिष्क को नियंत्रित कर रहा था।

न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए कहा,

"यह विचित्र प्रार्थना है, जो याचिकाकर्ता द्वारा की गई, जिसका विशिष्ट आरोप यह है कि कुछ लोगों के हाथों में कुछ मशीन का उपयोग और संचालन किया जा रहा है, जिसके द्वारा याचिकाकर्ता के "मस्तिष्क" को नियंत्रित किया जा रहा है। हमें इस मामले में हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश या कारण नहीं दिखता।" 

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