S.187 BNSS | 10 साल तक की कैद की सजा वाले अपराधों के लिए पुलिस हिरासत पहले 40 दिनों के भीतर होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 187 के अनुसार, 10 वर्ष तक के कारावास के दंडनीय अपराधों के मामलों में 15 दिन की पुलिस हिरासत पहले चालीस दिनों के भीतर मांगी जानी चाहिए।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने 13 दिसंबर, 2024 को दिए गए हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली शिकायतकर्ता द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका खारिज की।
इस मामले में मजिस्ट्रेट ने कुछ व्यक्तियों को पुलिस हिरासत देने से इनकार किया, जिन पर BNS की धारा 108, 308(2), 308(5), 351(2) और 352 के तहत अपराध करने का आरोप था, जो 10 वर्ष तक के कारावास के दंडनीय हैं। मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए राज्य ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी दलील को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने माना कि मामले में जांच की अवधि 60 दिन थी और BNSS की धारा 187 के अनुसार उपलब्ध पुलिस हिरासत 40 दिनों के भीतर है। वे 40 दिन बीत चुके हैं, पुलिस हिरासत देने का कोई वारंट नहीं था।
हाईकोर्ट के जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा,
"यदि अपराध दंडनीय है, जहां अवधि दस साल तक बढ़ाई जा सकती है, तो यह एक से दस तक भिन्न हो सकती है। ऐसे मामलों में पुलिस हिरासत जांच के पहले 40 दिनों के भीतर 15 दिनों के लिए उपलब्ध होगी। 15 दिन की अवधि पहले दिन से लेकर 40वें दिन तक अलग-अलग हो सकती है, लेकिन कुल अवधि 15 दिन होगी।"
हाईकोर्ट ने कहा,
"इस मामले में अपराध दस साल तक की सजा का प्रावधान है। इसलिए पुलिस हिरासत केवल पहले दिन से लेकर चालीसवें दिन तक है।"
धारा 187(3) में कहा गया कि मजिस्ट्रेट आरोपी व्यक्ति को 15 दिनों से अधिक समय तक हिरासत में रखने का अधिकार दे सकता है, यदि वह संतुष्ट है कि ऐसा करने के लिए पर्याप्त आधार मौजूद हैं। हालांकि कोई भी मजिस्ट्रेट इस उप-धारा के तहत आरोपी व्यक्ति को हिरासत में रखने की कुल अवधि से अधिक के लिए अधिकृत नहीं करेगा - (i) 90 दिन जहां जांच मृत्यु, आजीवन कारावास या दस साल या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध से संबंधित है; (ii) 60 दिन, जहां जांच किसी अन्य अपराध से संबंधित है।
BNSS की धारा 187(3) दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 167(2) थी। धारा 167(2) CrPC के तहत जांच की समाप्ति अवधि 90 दिन है, जहां जांच मृत्युदंड, आजीवन कारावास या दस वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय अपराध से संबंधित है। शेष अपराधों के लिए यह 60 दिन है। BNSS में वही 90 दिन की अनुमति है, जहां कारावास दस वर्ष या उससे अधिक की अवधि के लिए है।
केस टाइटल: हैदर अली बनाम कर्नाटक राज्य | एसएलपी (सीआरएल) नंबर 018063 - / 2024