S.138 NI Act | अन्य बैंक अकाउंट्स में धन की उपलब्धता डिफेंस नहीं; चेक अनादर का संबंध स्पेसिफिक अकाउंट्स से है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (04 दिसंबर को) ने स्पष्ट रूप से कहा कि बाउंस चेक (S.138 NI Act के तहत) के लिए शुरू की गई कार्यवाही में इस बचाव की सराहना नहीं की जा सकती कि अन्य बैंक खातों में पर्याप्त धनराशि है।
जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने कहा,
"एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत कार्यवाही में आरोपी बाउंस हुए चेक के लिए अन्य बैंक अकाउंट्स पर भरोसा नहीं कर सकता है, जो आरोपी के स्पेसिफिक बैंक अकाउंट से संबंधित है।"
वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता/प्रतिवादी (धर्म सिंह) ने एक ही आरोपी हरपाल सिंह द्वारा जारी किए गए विभिन्न चेकों के अनादरण की शिकायत दर्ज की। शिकायतकर्ता के मामले के अनुसार, उसने समय-समय पर आरोपी की कंपनी में विभिन्न राशि का निवेश किया। निवेश आरोपी द्वारा दिए गए आश्वासन पर किया गया कि शिकायतकर्ता को निश्चित राशि मिलेगी। नतीजतन, अपने दायित्व का निर्वहन करने के लिए आरोपी ने शिकायतकर्ता को कई चेक सौंपे।
हालांकि, जब जमा किया गया तो धन की कमी के कारण चेक बिना भुगतान के वापस कर दिया गया। शिकायतकर्ता से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के बाद आरोपी ने एनआई एक्ट की संबंधित धारा के तहत शिकायत दर्ज की। साथ ही आईपीसी के तहत धोखाधड़ी का अपराध भी शामिल किया गया।
ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता को दोषी ठहराया और मुआवजे के संबंध में निर्देश पारित किए। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हालांकि हाईकोर्ट ने सजा को संशोधित किया, लेकिन उसने दोषसिद्धि में हस्तक्षेप नहीं किया। इसी पृष्ठभूमि में मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह अपीलकर्ता की ओर से पेश हुए। एडवोकेट ने दलील दी कि वर्ष 2015 में संबंधित बैंक खाता फ्रीज कर दिया गया था।
हालांकि, कोर्ट ने इस दलील पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि जब चेक जारी किए गए तो अपीलकर्ता के पास पर्याप्त धनराशि नहीं थी।
कोर्ट ने कहा,
“हालांकि, आक्षेपित निर्णय से ही पता चलता है कि यद्यपि याचिकाकर्ता द्वारा कुल अस्सी लाख रुपये की राशि के दस चेक जारी किए गए। संबंधित समय पर संबंधित बैंक खाते में अधिकतम 18,52,033/ रुपये जमा थे।”
इसके अलावा, अपीलकर्ता के पास विभिन्न बैंक अकाउंट में धन की उपलब्धता से संबंधित वकील के तर्क को अदालत का समर्थन नहीं मिला। जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया, न्यायालय ने माना कि आरोपी अस्वीकृत चेक के लिए अन्य बैंक अकाउंट्स पर भरोसा नहीं कर सकता है, जो विशिष्ट बैंक खाते से संबंधित है।
अदालत ने कहा,
"तदनुसार, सीनियर वकील मनिंदर सिंह द्वारा कंपनी के अन्य बैंक अकाउंट्स के संदर्भ में पर्याप्त धनराशि होने का तर्क आरोपी के लिए कोई सहायता नहीं हो सकता है।"
इसे देखते हुए कोर्ट ने अपील खारिज कर दी।
केस टाइटल: हरपाल सिंह बनाम हरियाणा राज्य, डायरी नंबर- 44330 - 2023
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