कर्नाटक में प्रवेश के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट की शर्त 'व्यापक जनहित' में : सुप्रीम कोर्ट ने केरल विधायक की याचिका खारिज की

Update: 2021-10-29 08:39 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल विधासभा सदस्य (एमएलए) एकेएम अशरफ की ओर से दायर एक विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया।

दरअसल, कर्नाटक सरकार ने केरल के नागरिकों को कर्नाटक में प्रवेश के लिए नेगेटिव आरटीपीसीआर टेस्ट अनिवार्य कर दिया था, जिसे अशरफ ने केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हालांकि कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसके बाद अशरफ ने हाईकोर्ट के फैसले के ख‌िलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि व्यापक जनहित को देखते हुए कर्नाटक राज्य के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

यह देखते हुए कि कासरगोड जिले के निवासियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है, पीट ने कहा, "केरल राज्य से कर्नाटक राज्य के बीच आवाजाही का अधिकार प्रतिबंधित नहीं किया गया हैं। यह कासरगोड जिले के निवासियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं है। व्यापक जनहित के कारण कर्नाटक राज्य की ओर से जारी सर्कुलर में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।" 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "कर्नाटक सरकार की ओर से जारी सर्कुलर केरल से कर्नाटक आने वाले लोगों के नेगेटिव आरटी पीसीआर ​​​​प्रमाण पत्र पर जोर देता है। राज्य ने जुलाई 31, 2021 को एक और संशोधित सर्कुलर जारी करके प्रतिबंधों में ढील दी है। यह छात्रों, प्रोफेशनल्स और अन्य लोगों के हित में किया गया है।"

पीठ ने अपने फैसले में एमएलए अशरफ को कर्नाटक राज्य को एक प्रतिनिधित्व पेश करने की छूट दी है, जिसमें वह केरल के उत्तरी भाग से कर्नाटक में प्रवेश करने वाले लोगों के लिए शर्तों में छूट की मांग कर सकते हैं।

एमएलए एकेएम अशरफ की ओर से पेश एडवोकेट हरीश बीरन ने कहा कि कासरगोड के निवासी शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य जरूरतों के लिए मंगलौर शहर पर निर्भर है। उन्होंने कहा कर्नाटक राज्य की ओर से जारी सर्कुलर, जिसके तहत नेगेटिव आरटी पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट को अन‌िवार्य किया गया है, के बाद केरल से कर्नाकट जाने वाले लोगों की संख्या सीमित हुई है।

केरल हाईकोर्ट के समक्ष मामला

हाईकोर्ट के समक्ष दायर रिट याचिका में यात्रा के 72 घंटों के भीतर अनिवार्य रूप से नेगेट‌िव आरटी-पीसीआर प्रमाणपत्र प्राप्त करने की शर्त को हटाकर केरल के दैनिक यात्रियों को कर्नाटक में मुफ्त आवाजाही की अनुमति देने के लिए तत्काल आदेश देने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने निम्नलिखित दो आदेशों को चुनौती दी थी, 

-कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव की ओर से 31 जुलाई 2021 को जारी आदेश में निर्देश दिया गया है कि केरल से कर्नाटक राज्य में प्रवेश करने वाले छात्रों, पेशेवरों, व्यापारियों सहित यात्रियों को आरटी पीसीआर टेस्ट से गुजरना होगा, भले ही वे उनका टीकाकरण पूरा हो चुका हो।

-उपायुक्त का केरल-कर्नाटक सीमा को बंद करने और उक्त सीमा से गुजरने वाली सरकारी बसों को रद्द करने का आदेश।

चीफ जस्टिस एस मणिकुमार और जस्टिस शाजी पी चैली की खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और मामले में क्षेत्राधिकार संबंधी अनियमितताओं का हवाला दिया ।

याचिका का विवरण

याचिकाकर्ता ने कहा था कि चूंकि कर्नाटक राज्य ने आक्षेपित आदेश पारित किया था, इसलिए केरल हाईकोर्ट ने क्षेत्राधिकार के अभाव में उनकी याचिका को खारिज करने का निर्णय किया। य‌ह निर्णय गलत था क्योंकि इन दो आदेशों से केरल के नागरिक गंभीर रूप से प्रभावित हैं, इसलिए मौजूदा मामले में कार्रवाई का कारण स्पष्ट रूप से केरल राज्य के भीतर है।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि इन आदेशों का प्रभाव छात्रों और शिक्षा, व्यवसाय, नौकरी, चिकित्सा उपचार और अन्य कारणों से प्रति‌‌दिन राज्य की यात्रा करने वाली जनता पर है, उन्हें आरटी-पीसीआर परीक्षण से गुजरने के लिए कहा गया है, यह व्यावहारिक रूप से असंभव है और दैनिक यात्रियों के लिए इसका कोई मतलब नहीं है।

य‌ाचिका में तर्क दिया गया, "अनुच्छेद 226 (2) के तहत हाईकोर्ट के पास किसी भी सरकार के खिलाफ रिट जारी करने का पर्याप्त अधिकार क्षेत्र है, भले ही ऐसी सरकार की सीट उसके क्षेत्र से बाहर हो। इसलिए, केरल हाईकोर्ट के पास कर्नाटक सरकार के खिलाफ एक रिट जारी करने का अधिकार क्षेत्र था।"

याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया था कि कर्नाटक सरकार का आदेश 25 अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों के विपरीत है, जिसमें राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया था कि पूर्णतया टीकाकृत हो चुके नागरिकों को राज्यों के बीच आवाजाही के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट अनिवार्य न किया जाए।

मामला : एकेएम अशरफ बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य

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