पात्रता के बावजूद स्कूल में एडमिशन से वंचित होने पर रोहिंग्या बच्चे हाईकोर्ट जा सकते हैं: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निपटारा किया
सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों को दिल्ली के स्कूलों में एडमिशन देने की मांग करने वाली याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उचित कदम यह होगा कि बच्चे पहले संबंधित सरकारी स्कूलों (जिनके लिए वे पात्रता का दावा करते हैं) से संपर्क करें। अगर उन्हें (पात्र होने के बावजूद) एडमिशन से वंचित किया जाता है तो बच्चे दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए स्वतंत्र होंगे।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा,
"इन बच्चों के लिए उचित उपाय यह होगा कि वे उन सरकारी स्कूलों में आवेदन करें, जिनके लिए वे खुद को पात्र बता रहे हैं और एडमिशन से वंचित किए जाने की स्थिति में, अगर वे ऐसे एडमिशन के हकदार हैं, तो संबंधित बच्चे दिल्ली हाईकोर्ट जा सकते हैं। उक्त स्वतंत्रता के साथ विशेष अनुमति याचिका का निपटारा किया जाता है।"
बता दें कि इस साल जनवरी में कोर्ट ने याचिकाकर्ता-एनजीओ से हलफनामा दाखिल करने को कहा था, जिसमें यह बताया गया हो कि रोहिंग्या शरणार्थी अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं या सामान्य आवासीय कॉलोनियों में रह रहे हैं।
इसके बाद हलफनामा दाखिल किया गया, जिसमें 18 बच्चों का विवरण दिया गया, जिन्हें स्कूलों में दाखिले के योग्य बताया गया। साथ ही कहा गया कि कुछ बच्चों के भाई-बहन पहले से ही दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं।
इस हलफनामे के मद्देनजर कोर्ट ने अपना आदेश पारित किया।
सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत ने कहा कि कोर्ट के समक्ष ऐसा कोई सर्कुलर नहीं था, जिसमें कहा गया हो कि दिल्ली के स्कूलों में रोहिंग्या शरणार्थी बच्चों के दाखिले पर रोक लगाई गई।
जज ने कहा,
"ऐसा कुछ नहीं है, किसी को स्कूल में आवेदन करना होगा। जाओ और आवेदन करो। दिखाओ कि तुम उस इलाके के निवासी हो। इसके आधार पर कानून अपना काम करेगा।"
केस टाइटल: सोशल ज्यूरिस्ट ए सिविल राइट्स ग्रुप बनाम दिल्ली नगर निगम और अन्य, एसएलपी (सी) नंबर 1895/2025